न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
अक्षम कर्मियों को चिह्नित करने के लिए गृह विभाग में दो कमेटियों का गठन किया गया है। गृह विभाग में 50 वर्ष से अधिक उम्र के समूह क के सरकारी सेवकों के कार्यकलापों की समीक्षा के लिए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। इसमें तीन सदस्य बनाए गए हैं। इनमें गृह विभाग के सचिव, गृह विभाग के विशेष सचिव (भा.पु.से) और विभागीय मुख्य निगरानी पदाधिकारी शामिल हैं।
दो सदस्यीय दूसरी कमिटी
इसके अलावा समूह ख, ग एवं अवर्गीकृत सरकारी सेवकों के कार्यकलापों की समीक्षा के लिए गृह विभाग के सचिव के अध्यक्षता में दो सदस्यीय एक दूसरी कमिटी बनाई गई है। इसमें सदस्य के तौर पर गृह विभाग के संयुक्त सचिव-सह-मुख्य निगरानी पदाधिकारी (अराजपत्रित कर्मियों की स्थिति में मुख्य निगरानी पदाधिकारी के प्रतिनिधि) और गृह विभाग(आरक्षी, विशेष शाखा) के अवर सचिव शामिल हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले वर्ष जुलाई में एक संकल्प जारी किया था, जिसके मद्देनजर गृह विभाग में भी कार्रवाई शुरू की गई है। सूत्रों के अनुसार दूसरे विभागों में भी तैयारी चल रही है।
इन पैमानों पर होगी परख
इसके तहत गृह विभाग के वैसे सरकारी सेवक जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी हो तथा उनकी कार्यदक्षता या आचार ऐसा नहीं है, जिससे उन्हें सेवा में बनाए रखना न्याय हो अथवा जिन्हें सेवा में बनाए रखना लोकहित में न हो, के कार्यकलापों की आवधिक समीक्षा की जानी है। समीक्षा के बाद गठित कमिटी अनिवार्य सेवा निवृति की अनुशंसा करेगी। समिति की बैठक प्रत्येक वर्ष जून एवं दिसंबर में होगी जिसमें समिति द्वारा प्राप्त प्रस्तावों पर सामान्य प्रशासन विभाग के संकल्प के मद्देनजर समीक्षा कर निर्णय लिया जाएगा।
जबरन रिटायरमेंट प्लान के खिलाफ उतरा पुलिस मेंस एसोसिएशन
राज्य में 50 साल की उम्र सीमा पार कर चुके अक्षम सरकारी सेवकों को जबरन रिटायरमेंट दिए जाने को लेकर सरकार ने जो कवायद शुरू की है, उसे लेकर विरोध शुरू हो गया है. बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. पुलिस मेंस एसोसिएशन ने सरकार के फैसले का ना केवल विरोध किया है बल्कि यह चेतावनी भी दे डाली है कि अगर ऐसा फैसला किया जाता है तो सरकार आंदोलन झेलने को तैयार है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार धीरज ने कहा है कि पुलिस विभाग में सरकार के इस फैसले को लागू नहीं होने दिया जाएगा. पुलिस मेंस एसोसिएशन का कहना है कि सरकार इस तरह के फैसले से सामूहिक जनसंघार जैसा कदम उठा रही है. एसोसिएशन का कहना है कि सरकारी सेवकों के ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं और रिटायरमेंट की उम्र सीमा से पहले अगर उन्हें जबरन सेवानिवृत्ति दी जाती है तो इसे मृत्युदंड जैसा ही माना जाएगा. एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरने को भी तैयार है।
बता दें कि नीतीश सरकार ने इस काम के लिए एक कमिटी का गठन किया है. 3 सदस्यों और 4 सदस्यों की दो अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है. अपर मुख्य सचिव और सचिव की अध्यक्षता में दो समितियों का गठन किया गया है. गृह विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि इस समिति की अनुशंसा पर जून से जबरन रिटायरमेंट का ड्राइव शुरू हो जाएगा. गृह विभाग से शुरुआत के बाद अब अन्य विभागों में भी अगले महीने समिति बनने लगेगी।
राज्य के इंजीनियर भी नीतीश सरकार के फैसले के विरोध में उतरे, जबरन रिटायरमेंट को अत्याचार बताया
50 साल की उम्र पार कर चुके अक्षम कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के लिए राज्य सरकार ने कमेटी क्या बनाई इसका विरोध शुरू हो गया। बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के बाद अब बिहार अभियंत्रण सेवा संघ ने भी राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बेसा ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आड़ में सरकार अभियंताओं पर प्रशासनिक अत्याचार बंद करें।
बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के महासचिव डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आड़ में अभियंताओं पर प्रशासनिक अत्याचार बन्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग में बिना किसी वाजिब कारण के 6 अभियंताओं को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई। जिससे अभियंताओं में दहशत का माहौल व्याप्त है। बेसा इन अभियंताओं की विभाग में वापसी की मांग करता है।अगर सरकार का अभियंताओं के प्रति इस तरह की अवैज्ञानिक दृृष्टीकोण एवं अड़ियल रवैया जारी रहा तो संघ आर-पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होगा।