
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
*चार साइबर कैफे संचालक गिरफ्तार, साइबर थाना और अरेराज प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज और तकनीकी उपकरण बरामद, गिरोह के तार कई जिलों से जुड़े*
बिहार में डिजिटल अपराध पर लगाम कसने के लिए मोतिहारी पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। फर्जी आधार कार्ड और राशन कार्ड बनाने वाले एक संगठित साइबर गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार साइबर कैफे संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। इस कार्रवाई में 08 लैपटॉप, 05 मोबाइल फोन, 05 बायोमेट्रिक मशीन, 20 आधार कार्ड, 04 राशन कार्ड सहित बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज व उपकरण बरामद किए गए हैं। गुप्त सूचना के आधार पर अरेराज एसडीएम अरुण कुमार, एसडीपीओ रंजन कुमार और साइबर डीएसपी अभिनव परासर के नेतृत्व में की गई।
पहाड़पुर और मलाही थाना क्षेत्रों में छापेमारी कर चार आरोपियों को पकड़ा गया, जो वर्षों से इस धंधे में सक्रिय थे और सरकारी पोर्टल्स को बायपास कर आम नागरिकों की पहचान से खिलवाड़ कर रहे थे। गिरफ्तार साइबर कैफे संचालकों में रेहान सैफी, सैफी डिजिटल सेवा केंद्र, लघुनिया, सुरज कुमार और विक्की कुमार, भवानी साइबर कैफे, दुधियावा, निरज कुमार, तेजपुरवा, थाना मलाही शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने सरकारी आरसीएमएस पोर्टल और यूआईडीएआई प्रणाली को बायपास कर फर्जी दस्तावेजों की श्रृंखला तैयार की। ओटीपी सत्यापन को दरकिनार कर ये लोग वास्तविक राशन और आधार कार्ड बना रहे थे, जो पूरी तरह से अवैध और जनहित के खिलाफ है।
छापेमारी के दौरान मिली सामग्रियों से इनके काले कारोबार की गहराई का अंदाजा लगाया जा सकता है। इनके पास से आठ लैपटॉप, पांच मोबाइल, दो प्रिंटर पांच बायोमेट्रिक मशीन, बीस आधार कार्ड, चार राशन कार्ड, चार ई-श्रम कार्ड, दो आयुष्मान कार्ड, पांच फर्जी अंगूठा, स्टांप, एक आई स्कैनर एक स्वाइप मशीन, चार पैन कार्ड, 22 सिम कार्ड, 13 एटीएम, पांच ब्लैक स्मार्ट कार्ड, 1,79,500/- नगद बरामद किया गया है। इन दस्तावेजों और उपकरणों का उपयोग सिस्टम में सेंध लगाकर लोगों की पहचान बदलने और लाभ लेने के लिए किया जा रहा था। साइबर डीएसपी अभिनव परासर ने बताया कि यह गिरोह पिछले कई वर्षों से सक्रिय था और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा था। ओटीपी जैसी सुरक्षा प्रणाली को बायपास कर ये अपराधी सरकारी सिस्टम को चकमा दे रहे थे।
यह गिरोह केवल पूर्वी चंपारण तक सीमित नहीं है। इसके तार छपरा, सुपौल सहित अन्य जिलों से भी जुड़े हैं। एसआईटी का गठन कर और स्थानों पर छापेमारी की जा रही है, ताकि इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया जा सके। अब यह मामला साइबर थाना मोतिहारी द्वारा दर्ज कांड संख्या 78/25 के तहत गंभीर धाराओं में अनुसंधानाधीन है। इस पूरे अभियान में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की एक संयुक्त टीम शामिल थी, जिनमें अरेराज एसडीएम अरुण कुमार, एसडीपीओ रंजन कुमार, साइबर डीएसपी अभिनव परासर, प्रखंड विकास पदाधिकारी अखिलेश कुमार, अंचलाधिकारी पुष्कर कुमार, हरसिद्धि अंचलाधिकारी अरविंद चौधरी, एमओ अंकित कुमार साह, थाना प्रभारी शिवम सिंह, प्रियंका, अमित रंजन समेत कई अधिकारी शामिल थे। पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने स्पष्ट कहा है कि “किसी भी हाल में डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।” उन्होंने जनता से भी अपील की है कि यदि उन्हें किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि दिखाई देती है, तो तुरंत सूचना दें। यह गिरोह ना केवल एक साइबर अपराध में लिप्त था, बल्कि यह जनता के संवैधानिक अधिकारों पर हमला कर
“किसी भी हाल में डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा। फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा, सिस्टम को तोड़ने वाले अब सलाखों के पीछे होंगे।” : पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात
रहा था। गरीबों को मिलने वाले राशन, आयुष्मान योजना जैसी सुविधाओं में फर्जी लाभार्थी जोड़कर असली जरूरतमंदों को वंचित किया जा रहा था। इसके पीछे व्यापक आर्थिक और सामाजिक नुकसान की साजिश छिपी थी।
मोतिहारी पुलिस और प्रशासन की यह कार्रवाई साइबर अपराध पर सख्त नियंत्रण और सरकारी योजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह घटना स्पष्ट संकेत देती है कि डिजिटल तकनीक का गलत इस्तेमाल करने वालों के लिए अब कोई राहत नहीं है।