
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव : नई दिल्ली
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
*केंद्र ने उपराष्ट्रपति से बात की और जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के खिलाफ लाया गया विपक्ष का प्रस्ताव के मुद्दे को उठाया। इसपर धनखड़ ने तीखी प्रतिक्रिया दी और बातचीत बहस में बदल गई। रिपोर्ट के मुताबिक, इस फोन कॉल के बाद धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। ऐसे में जब धनखड़ को इस बात का पता चला, तो उन्होंने खुद ही पद से इस्तीफा दे दिया।*
उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर राजनीति जारी है। उन्होंने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा। हालांकि, कहा जा रहा है कि इस त्यागपत्र के तार जज के घर मिली नकदी के मामले को लेकर हुई बहस से जुड़े हैं। हालांकि, इसे लेकर धनखड़ या सरकार ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।
सूत्रों ने बताया है कि केंद्र से आए एक कॉल के बाद टकराव शुरू हो गया था, जिसके बाद उपराष्ट्रपति के पास सीमित विकल्प बचे थे।
इस पूरे घटनाक्रम का केंद्र जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के खिलाफ लाया गया विपक्ष का प्रस्ताव था। सोमवार को जब मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई, तो विपक्षी सांसदों ने नोटिस पेश किया। खास बात है कि धनखड़ ने नोटिस को स्वीकार कर लिया और सदन महासचिव से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा गया।
सूत्रों ने बताया कि धनखड़ का यह कदम केंद्र को रास नहीं आया। ऐसे में विपक्ष के नोटिस को स्वीकार करने के चलते सरकार के हाथ से न्यायाधीश और न्यायपालिका के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का मौका चला गया।
सूत्रों के अनुसार, धनखड़ लगातार न्यायपालिका पर भी निशाना साथ रहे थे, जिससे सरकार सहमत नहीं थी। कुल मिलाकर देखा जाए तो धनखड़ की कार्यशैली को लेकर सरकार में नाराजगी बढ़ रही थी, जिसके चलते आखिर में यह स्थिति बनी।
इस बीच मंगलवार को विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक संसद के गलियारों में यही सवाल तैरता रहा कि आखिर ऐसी क्या बड़ी वजह थी कि देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ना पड़ा। जबकि, उन्होंने लगभग 10 दिन पहले ही दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में कहा था कि वह अपने पद पर 2027 तक यानी पूरे कार्यकाल में बने रहेंगे।
सोमवार सुबह संसद में भी ऐसी कोई हलचल नहीं थी, जिससे लगे कि उपराष्ट्रपति इस्तीफा देने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ नेता इसे भाजपा की भावी बड़े और कड़े निर्णय लेने से भी जोड़ रहे हैं, जिसमें व्यापक बदलाव किए जाने हैं और पार्टी के समीकरण भी ठीक किए जाने हैं।
सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र ने उपराष्ट्रपति से बात की और इस मुद्दे को उठाया। इसपर धनखड़ ने तीखी प्रतिक्रिया दी और बातचीत बहस में बदल गई। रिपोर्ट के मुताबिक, इस फोन कॉल के बाद धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। ऐसे में जब धनखड़ को इस बात का पता चला, तो उन्होंने खुद ही पद से इस्तीफा दे दिया।
नड्डा और रिजिजू की अनुपस्थिति
विपक्ष ने इस मुद्दे को जमकर उठाया और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी से केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और किरेन रिजीजू की गैर मौजूदगी का मुद्दा उठाया। रमेश ने लिखा, ‘कल जगदीप धनखड़ ने दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की। इसमें सदन के नेता जे पी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू सहित अधिकतर सदस्य उपस्थित थे। कुछ चर्चा के बाद, कार्य मंत्रणा समिति ने शाम साढ़े चार बजे दोबारा बैठक करने का निर्णय लिया।’
उन्होंने कहा, ‘शाम साढ़े चार बजे कार्य मंत्रणा समिति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में दोबारा एकत्रित हुई। बैठक में नड्डा और रिजीजू के आने का इंतजार हो रहा था। वे नहीं आए।’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह सूचित नहीं किया गया था कि दोनों वरिष्ठ मंत्री बैठक में शामिल नहीं हो रहे और धनखड़ को इसका बुरा लगा तथा फिर उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक मंगलवार दोपहर एक बजे के लिए पुनर्निर्धारित कर दी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, ‘कल जगदीप धनखड़ ने दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की। इसमें सदन के नेता जे पी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू सहित अधिकतर सदस्य उपस्थित थे। रमेश ने दावा किया कि सोमवार अपराह्न एक बजे से शाम साढ़े चार बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटना हुई जिसके कारण नड्डा और रिजीजू दूसरी कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जानबूझकर अनुपस्थित रहे।
क्या बताई इस्तीफे की वजह
धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा, ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं।