न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
भगवान गणेश की पूजा भारत के अलावा विदेशों में भी होती है। गणेश जी की मूर्तियां अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, चाइना, मंगोलिया, जापान, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, बुल्गारिया, मेक्सिको और अन्य लेटिन अमेरिकी देशों में मिल चुकी हैं। अलग-अलग देशों में गणेश जी की पूजा अलग-अलग नामों से की जाती है। इन्हें जापान में कांगितेन और थाईलैंड में फिकानेत कहा जाता है। वहीं, श्रीलंका में पिल्लयार कहा जाता है।
भारतीय बौद्ध भिक्षुओं ने भी ग्यारहवीं सदी में तिब्बतियन बौद्ध धर्म में गणेश जी को प्रचारित किया। इन्हें ही तिब्बत में गणेश पंथ को शुरू करने वाला माना जाता है। गयाधरा कश्मीर से थे जिन्होंने तिब्बत में गणेश पथ को प्रचारित किया।
नेपाल में गणेश मंदिर की स्थापना सबसे पहले सम्राट अशोक की पुत्री चारू मित्रा ने की थी। वहां के लोग भगवान गणेश को सिद्धिदाता और संकटमोचन के रूप में मानते हैं। परेशानियों से बचने के लिए वहां गणेश जी की पूजा की जाती है। वहीं चीन के प्राचीन हिन्दू मंदिरों में चारों दिशाओं के द्वारों पर गणेश जी स्थापित है। इसके अलावा तिब्बत में गणेश जी को दुष्टात्माओं के दुष्प्रभाव से रक्षा करने वाला देवता माना जाता है।
अन्य देशों में किस रुप में पूजे जाते हैं गणेश जी
जापान
जापान में भगवान गणेश को ‘कांगितेन’ के नाम से जाना जाता हैं, जो जापानी बौद्ध धर्म से संबंध रखते हैं। कांगितेन कई रूपों में पूजे जाते हैं, लेकिन इनका दो शरीर वाला स्वरूप सर्वाधिक प्रचलित है। चार भुजाओं वाले गणपति का भी वर्णन यहां मिलता है।
श्रीलंका
तमिल बहुल क्षेत्रों में काले पत्थर से निर्मित भगवान पिल्लयार (गणेश) की पूजा की जाती है। श्रीलंका में गणेश के 14 प्राचीन मंदिर स्थित हैं। कोलंबो के पास केलान्या गंगा नदी के तट पर स्थित केलान्या में कई प्रसिद्ध बौद्ध मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित हैं।
इंडोनेशिया
माना जाता है कि इंडोनेशियन द्वीप पर भारतीय धर्म का प्रभाव पहली शताब्दी से है। यहां के भारतीयों के लिए भगवान गणेश की मूर्तियां ख़ासतौर पर भारत से मंगाई जाती हैं। यहां के 20 हज़ार के नोट पर भी गणेश जी की तस्वीर है। यहां उन्हें ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
थाईलैंड
गणपति ‘फ्ररा फिकानेत’ के रूप में प्रचलित हैं। यहां इन्हें सभी बाधाओं को हरने वाले और सफलता के देवता माना जाता है। नए व्यवसाय और शादी के मौके पर उनकी पूजा मुख्य रूप से की जाती है। गणेश चतुर्थी के साथ ही वहां गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।