न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
ग्रामीण क्षेत्र की आवासीय संपत्तियों पर बैंक से कर्ज लेना अब आसान हो जाएगा। ग्राम पंचायतों के दायरे में आने वाली आवासीय संपत्तियों का मालिकाना हक देने की योजना परवान चढ़ने लगी है। गांवों के मकानों का डिजिटल सर्वेक्षण कई राज्यों में शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, जिसे गांव के लोगों ने लिए एक क्रांतिकारी फैसला माना जा रहा है। पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य सै ई-प्रणाली को अपनाए जाने पर जोर दिया जा रहा
है।
स्वामित्व योजना के लागू हो जाने के बाद गांव में रहने वाले लोग भी शहरों की तर्ज पर अपने मकानों का व्यावसायिक उपयोग कर सकेंगे। गांव के लोगों के पास फिलहाल उनके मकानों के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं होने से बैंक उसके आधार पर कर्ज देने से मना कर देते हैं। मंत्रालय के आयोजित वचरुअल राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार समारोह में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस योजना को सभी राज्यों से लागू करने की अपील की।
अब सीधे पंचायतों को धन होता है आवंटित
देश की दो लाख ग्राम पंचायतें से जुड़ चुकी हैं। केंद्र अब सीधे पंचायतों को धन आवंटित करता है। चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरुप ग्राम पंचायतों को कुल दो लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि का आवंटन किया है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें अभी आने वाली हैं, लेकिन इसकी अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर 60 हजार करोड़ ऊपये से अधिक की धनराशि राज्यों को जारी की जा चुकी है।