
न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : बेतिया/ बिहार :
★जिला मुख्यालय बेतिया में बानुछापर जाने वाली सड़क तालाब में तब्दील हो चुकी है. वैसे तो हर बार बरसात का मौसम स्थानीय दिनों में लोगों के लिए मुश्किल भरा होता है, लेकिन इस बार स्थिति अभी से ही भयावह होती दिख रही है. भारी जलजमाव (Water Logging) के कारण लोग जान जोखिम में डालकर 3 से 4 फीट पानी के बीच से सड़क पर चलने को विवश हैं.★
मानसून की पहली बारिश ने पश्चिम चंपारण के मुख्यालय की सूरत बिगाड़कर रख दी है. जगह-जगह जलजमाव (Water Logging) की स्थिति है. समाहरणालय, सड़कें और शहर तालाब में तब्दील हो गई हैं. जिस वजह से लोगों के लिए बाहर निकलना भी मुश्किल होता जा रहा है. सड़कों पर 3-4 फीट पानी होने के कारण गाड़ियां भी जहां-तहां फंस जा रही है.
तालाब में तब्दील हुईं सड़कें
जगह-जगह पानी और सड़कों पर तालाब सा नजारा. दरअसल ये स्थिति किसी बाढ़ ग्रसित क्षेत्र की नहीं है और न ही किसी दियारावर्ती क्षेत्र की, बल्कि यह तस्वीर शहर के बीचों-बीच स्थित स्टेशन चौक के पास की है. स्टेशन चौक से संत कबीर रोड और बानुछापर जाने वाले रास्ते में बारिश के कारण भारी जलजमाव के हालात हैं.
जलजमाव किसी संकट से कम नहीं
यहां के हालात इतने बुरे हैं कि लोगों के लिए बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है. खासतौर पर दो पहिया वाहन चालकों के लिए अगर थोड़ा भी संतुलन बिगड़ा तो बाइक के साथ सीधे पानी में गिर सकते हैं. लोग जान जोखिम में डालकर सड़क पार करने को मजबूर हैं. बानुछापर को पंचायत से नगर निगम में शामिल तो कर लिया गया, लेकिन यहां की तस्वीर जरा भी नहीं बदली.
सड़क पर 3 फीट पानी जमा
बेतिया स्टेशन चौक से बानुछापर जाने वाली सड़क पर लगभग 3 फीट पानी जमा है. एक हफ्ते से पूरी सड़क पानी में डूबी हुई है. बारिश के कारण पानी का जमाव एक हफ्ते से स्टेशन चौक से बानुछापर जाने वाली सड़क पर लगा हुआ है. वहीं, स्थानीय लोगों और राहगीरों की मानें तो कई बार सड़क पर लगे जलजमाव के कारण गड्ढा नहीं दिख पाता है, जिस कारण लोग गड्ढे में गिर जाते हैं.
तस्वीर नहीं बदली
आपको बताएं कि पहले बानुछापर पंचायत था, लेकिन हाल में ही इसे नगर निगम में शामिल किया गया है. हालांकि इसके बावजूद भी बानुछापर जाने वाली सड़कों और मोहल्लों में जलजमाव की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. नाली और बदबू भरे पानी से गुजरने को मजबूर हैं, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.