न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : माणसा- गांधीनगर/ गुजरात :
देश में कोरोना का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। शहर से लेकर गांव तक रोजाना लाखों लोग इसके संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। छोटे कस्बों और गांवों का हाल और भी बुरा है। वहां ना तो डॉक्टर है ना ही अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन और दवा है। ऐसा ही कुछ हाल गृह मंत्री अमित शाह के पैतृक गांव माणसा का है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्री के पैतृक गांव की हालत बद से बदतर है। माणसा टाउन में एक सरकारी हॉस्पिटल है, जिसमें 10 बेड हैं। चार प्राइवेट अस्पतालों में से हर एक में 5-7 बेड हैं। माणसा की 3.50 लाख की आबादी में केवल 35 बेड हैं, यानी हर 10 हजार की आबादी पर केवल एक बेड है। ऐसे में स्थिति गंभीर हो तो मरीजों को गांधीनगर तक लाना पड़ता है। सरकारी अस्पताल में 3-4 डॉक्टर, पांच वेंटिलेटर हैं, पर चलाने वाला नहीं है।
माणसा गुजरात की राजधानी गांधीनगर से बमुश्किल 27 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक तहसील है, जिसके अंतर्गत 48 गांव आते हैं। जिनकी कुल आबादी तीन से चार लाख के बीच है। यहां के चार गावों में अबतक 690 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले महीने बिलोद्रा गांव में 260, इटादरा में 240, लिंबोद्रा में 120 और बालवा में 70 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी। इसमें नाबालिगों की संख्या लगभग 10-20% है।
माणसा के सरकारी रेफरल हॉस्पिटल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. जितेश बारोट ने बताया कि अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 16 बिस्तर हैं। लेकिन ऑक्सीजन कम है। ऐसे में ज्यादा लोगों को भर्ती नहीं किया जा सकता।
डॉक्टर ने बताया “ऑक्सीजन की कमी की वजह से 6 बिस्तर हमेशा खाली रहते हैं। यहां 2-4 डॉक्टर मौजूद रहते हैं। कभी-कभी हमें चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहना पड़ता है। अभी केस घटे हैं, पर पिछले महीने रोजाना कम से कम 15 से 20 मरीज ऐसे आते थे जो गंभीर होते थे। हम उनका इलाज नहीं कर पा रहे थे।”
यहां के गांवों में ये आइसोलेशन सेंटर, टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं टेस्टिंग सेंटर केवल माणसा और यहां के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही है। वहां भी टेस्टिंग किट कम पड़ जाती है।