न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
दीप सिद्धू. एक्टर और ऐक्टिविस्ट. इनके नाम पर बवाल उठ रहा है. दीप सिद्धू पर आरोप हैं कि इन्होंने और इनके सहयोगियों ने 26 जनवरी को दिल्ली के लाल क़िले पर खालसा ध्वज फहरा दिया. किसान नेताओं ने भी दीप सिद्धू पर आरोप लगाए हैं. कहा है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को भड़काया. लेकिन अपने बचाव में दीप ने कहा है कि उन्होंने बस निशान साहिब का झंडा लाल क़िले पर फहराया है, प्रदर्शन करने को लोकतांत्रिक अधिकार बताया है. दीप सिद्धू ने कहा है कि जहां तक भारतीय झंडे की बात है, उसे हटाया नहीं गया.
26 जनवरी का दिन. राजपथ पर गणतंत्र दिवस का जश्न, तो वहीं दिल्ली- एनसीआर के दूसरे इलाक़ों से किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पों की ख़बरें. इसी बीच दिल्ली के लाल क़िले से ख़बर आयी कि कुछ प्रदर्शनकारी लाल क़िले में घुस गए. फ़ोटो और वीडियो आने लगे. प्रदर्शनकारी लाल क़िले पर झंडा फहराते देखे गए.
फिर लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा शुरू किया कि ये तो दीप सिद्धू है. दीप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सांसद और एक्टर सनी देओल के साथ दीप की तस्वीरें शेयर की जाने लगीं. भाजपा पर आंदोलनकारियों को भड़काने और लाल क़िले पर झंडा फहराने जैसी घटना की साज़िश रचने के आरोप लगे.
मीडिया से बातचीत में स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेन्द्र यादव ने कहा है कि दीप सिद्धू और गैंगस्टर से नेता बने लाखा सिधाना ने आंदोलनकारियों को भड़काया. उन्होंने इस बात की जांच की मांग की कि दीप सिद्धू माइक वग़ैरह लेकर अपने समर्थकों के साथ लाल क़िले कैसे पहुंचे? किस लाखा सिधाना की बात कर रहे हैं योगेन्द्र यादव? पूरा नाम है लखबीर सिंह सिधाना. ख़बरों के मुताबिक़ पहले गैंगस्टर थे. अब नेता बन गए हैं. मालवा यूथ फ़ेडरेशन के प्रेसिडेंट हैं.
एक रिपोर्ट बताती है कि इस पूरी घटना से पहले 25 जनवरी की रात को दीप और सिधाना ने सिंघु बॉर्डर पर बने संयुक्त किसान मोर्चा का अधिग्रहण कर लिया और साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से रिंग रोड अख़्तियार करने की बात कही. यानी उस रास्ते पर जाने की बात, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चे के बीच ट्रैक्टर मार्च के रूट को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था.
फिर 26 तारीख़ की घटना सामने आयी. लाल क़िले की घटना के बाद दीप सिद्धू ने एक वीडियो रिलीज़ किया. इस वीडियो में दीप सिद्धू ने कहा कि उन्होंने अपने नेताओं को वॉर्निंग दी थी कि उन्होंने हमारे युवाओं की भावनाओं के खिलाफ़ निर्णय लिया है. जब संयुक्त किसान मोर्चा से कहा गया कि वो ऐसा डिसीजन लें, जो सबको मंज़ूर हो, उन्होंने इस मांग को रिजेक्ट कर दिया, ऐसा दीप सिद्धू ने कहा. उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी को नहीं भड़काया. ‘भला मैं कैसे इतने लोगों को भड़का सकता हूं. आपको मेरा एक भी वीडियो नहीं मिलेगा, जहां मैं लोगों को लाल क़िले की तरफ़ ले जा रहा हूं.’ साथ ही ये भी कहा कि उन्होंने भावनाओं में बहकर निशान साहिब और किसान यूनियन का झंडा लाल क़िले पर फहरा दिया था.
सवाल उठता है कि जब सिंघु बॉर्डर पर ही संयुक्त किसान मोर्चा के मंच से परेड का रूट अलग करने की बात हो रही थी, उस समय वहां मौजूद दूसरे किसान नेताओं ने क्यों विरोध नहीं किया? ख़बरें बताती हैं कि किसान नेता इस समय तक अपना भाषण ख़त्म कर चुके थे. और भीड़ के चले जाने के बाद कुछ लोगों ने स्टेज पकड़ लिया और नारे लगाने लगे. नारे थे ‘हमारा रूट, रिंग रोड. परेड रूट, रिंग रोड.’