न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : दरभंगा/ बिहार :
लाकडॉउन की साइकिल गर्ल ज्योति की तस्वीर आपको याद होगी। आप इसे भूल भी नहीं सकते। क्योंकि, ज्योति की वह तस्वीर उसके साहस की कहानी के साथ ही मिथिलांचल के पलायन की हकीकत भी बयां करती है। ज्योति के पिता मोहन पासवान छठ बाद फिर से मुम्बई जाने की तैयारी में है। वह वहां पहले ज्योति की दिलेरी पर बनने वाली फिल्म की पटकथा का हिस्सा बनेंगे। फिर, वह मुम्बई में ही ई-रिक्शा चलाकर रोटी की जुगाड़ करेंगे। साइकिल गर्ल ज्योति की प्रसिद्धि से प्राप्त आठ लाख रुपए में से साढ़े चार लाख रुपए महाजन को ही देने पड़ गए। शेष राशि से वह केवटी विधानसभा क्षेत्र के अपने सिरहुल्ली गांव में एक कमरे का पक्का मकान बना रहे हैं। दरभंगा जिला मुख्यालय से सटे केवटी विधानसभा क्षेत्र के लोगों की यही असली तस्वीर है।
सिरहुल्ली गांव में डेढ़ हजार युवा, 1200 बाहर ही रहते हैं
चुनावी चर्चा छिड़ते ही वह कहते हैं कि यही हाल रहा तो यहां चुनावी नैया पार कराने के लिए नेताजी को भविष्य में वोटर रूपी खेवनहार ही नहीं मिलेंगे। यहां के अधिकतर युवा रोजी-रोजगार के लिए पलायन की पालकी पर सवार रहते हैं। केवटी विधानसभा क्षेत्र के सिंहवाड़ा प्रखंड का सिरहुल्ली गांव मब्बी-कमतौल स्टेट हाइवे के किनारे बसा है।
मोहन पासवान कहते हैं इस गांव में करीब डेढ़ हजार युवा हैं। जिसमें से 1200 से अधिक लोग बाहर ही रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान आए अधिकांश युवा पलायन कर चुके हैं। कुछ बच गए हैं जो छठ बाद जाएंगे। रैयाम के दिनेश महतो कहते हैं कि दरभंगा महाराज ने हम जैसे लोगों की रोजी-रोटी के लिए रैयाम में चीनी मिल खोली थी।सरकारी अधिग्रहण के बाद 1993-94 तक चीनी मिल बंद हो गई। बाढ़ से धान की फसल होती नहीं है। मखाना की फसल खास जाति के लोग ही कर सकते हैं। ऐसे में हम सब यहां क्या करें।