न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : मोतिहारी/ बिहार :
आजादी के सत्तर साल के बाद भी चकिया प्रखंड के महादलित बस्तियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, आज भी लोगों को न तो रहने को घर है और ना ही ढंग का भोजन। उपरोक्त बातें पूर्वी चंपारण जिले के राजद जिला उपाध्यक्ष जगजीवन बैठा ने पीपरा विधानसभा के चकिया प्रखंड के चकबारा पंचायत के भरथुइआं ग्राम के मुशहर बस्तियों (महादलित) का हालात देखने के पश्चात पत्रकारों से कही।
उन्होंने कहा कि ग़रीबी के कारण बच्चे नंगे थे। रहने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। अपना जमीन नहीं है नाहि बसे हुए जमीन का बास्कित पर्चा मिला है। मौके पर उपस्थित मुशहर जाति के अनेक लोगों ने बताया कि हम लोगों को राशन कार्ड के अभाव के कारण छह माह से राशन नहीं मिल रहा है। आज तक बहुत लोगों का आधार कार्ड नहीं बना है। स्थानीय विधायक जो कि सत्ता पक्ष के है वो भी हम लोगों के समस्या पर ध्यान नहीं दिया है।
वहां के लोगों ने बताया कि नेता केवल वोट के समय हीं इस बस्ति में आते हैं। शिक्षा नाम का कोई चीज नहीं है। दो सौ के करीब घर है उस घरों में एक भी मैट्रीकुलेशन नहीं है पूरे बस्ति में एक खुबलाल मांझी नाम का आदमी आठवां वर्ग तक पढ़ा है। वहां की महिलाओं का कहना था कि दूसरे के जमीन में घर है जिसके कारण हम लोगों का घर नहीं बन पा रहा है। सुशासन की सरकार बोल रही है कि सबसे अधिक ध्यान कमजोर लोगों के उत्थान में लगा रही है। महादलित के उत्थान के मामले में सरकार दावा करना सरासर ग़लत है।