
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव : नई दिल्ली
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
*कर्नल सोफिया ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकाने तबाह, भारत ने पाकिस्तान से ले लिया पहलगाम का बदला। सेना का दावा – हमले सटीक थे और आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान तीन दशकों से कर रहा था आतंकवादियों का निर्माण।*
*विश्व को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए- विदेश मंत्री यह ध्यान रखा गया कि निर्दोष नागरिकों व सिविलियन इंस्टॉलेशन को नुकसान न पहुंचे।*
*सभी पैरामिलिट्री जवानों की छुट्टियां रद्द, देश भर के पुलिस जवानों भी रहेंगे सक्रिय, आज शाम सात बजे देशभर में बजेगा सायरन, सभी तैयारियां पूरी*
चुटकी भर सिंदूर का बदला अपरेशन सिंदूर के तहत ले लिया गया। आतंक का गढ़ पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर भारत ने पाकिस्तान से पहलगाम हमले का बदला ले लिया। यह हमला पहलगाम अटैक के ठीक 15 दिन बाद किया गया। इससे देशवासियों में हर्ष का माहौल है, सभी सेना के साथ खड़े हैं। इससे उनके उबल रहे ख़ून को थोड़ी शांति मिली है। लेकिन, हिसाब अभी बाकी है।
भारतीय सेना के तरफ से आपरेशन सिंदूर बारे में प्रेस ब्रीफिंग विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री के साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने पूरी जानकारी दी। उन्होंने दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के हमले सटीक थे और आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया। भारतीय सेना की इस विशेष एयर स्ट्राइक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा, विश्व को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।
भारत सरकार ने पुष्टि की है कि सभी 9 ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया गया, जिससे पाकिस्तान में कोई भी नागरिक या सैन्य ढांचा प्रभावित नहीं हुआ। यह हमला 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई का हिस्सा था, जिसमें जम्मू-कश्मीर में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रात भर ऑपरेशन की प्रगति पर बारीकी से नजर रखी। सूत्रों ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सैन्य कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभियान योजना के अनुसार आगे बढ़े। भारतीय सेना के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि हमले केंद्रित, नपे-तुले और उकसावे के थे। जिसका लक्ष्य आतंकी शिविर और बुनियादी ढांचे के रूप में पहचाना गया था, पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित थे।
सेना ने प्रेस वार्ता कर बताया कि हमारे पास तुम्हारे नागरिकों को टार्गेट करने का पूरा चांस था, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम तुम्हारे तरह बुजदिल नहीं हैं, जो सिविलयन पर हमला कर देंगे। हमने सिर्फ आतंकी मारे हैं। सेना ने कहा कि हमारे पास पूरी तैयारी थी, हम चाहते तो पाकिस्तान के सैन्य ठिकाने और नागरिकों पर भी हमले कर सकते थे।
कर्नल सोफिया और व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सबसे पहला सवाई नाला मुजफ्फराबाद में लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर था। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली थी। उन्होंने कहा कि सेना ने इसी ट्रेनिंग सेंटर को तबाह किया गया है। पाकिस्तान में तीन दशकों से आतंकवादियों का निर्माण हो रहा है। पाकिस्तान और पीओके में नौ टारगेट पहचाने गए थे और इन्हें हमने तबाह कर दिया। लॉन्चपैड और ट्रेनिंग सेंटर्स टारगेट किए गए। ताकि, आतंकवादियों की रीड तोड़ी जा सके। वहीं यह यह खास ध्यान दिया गया कि निर्दोष नागरिकों और सिविलियन इंस्टॉलेशन को नुकसान न पहुंचे।
हमने अपने अधिकार का इस्तेमल किया
विदेश सचिव श्री मिस्त्री ने कहा कि हमने आतंकियों को रोकने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमल किया। यह कार्रवाई बेहद नपी-तुली और जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से की गई है। कार्रवाई सिर्फ आतंकवाद के ढांचे को खत्म करने और आतंकवादियों को अक्षम बनाने पर फोकस है। पहलगाम अटैक भारत में सबसे गंभीर और अत्यधिक बर्बरता पूर्ण था, जिसमें वहां मौजूद लोगों को करीब से और उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारी गई। हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया।
सांप्रदायिक दंगे भड़काना था पाक का नापाक इरादा
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष आप सभी जानते हैं सवा दो करोड़ से अधिक पर्यटक कश्मीर आए थे। इस हमले का मुख्य उद्देश्य इस संघ राज्य क्षेत्र में विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर इसे पिछड़ा बनाए रखा जाना था। और पाकिस्तान से लगातार होने वाले सीमा पार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन बनाने में सहायता की जाए। हमले का एक तरीका जम्मू और कश्मीर और शेष राष्ट्र में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी प्रेरित था। इसका श्रेय सरकार और भारत के सभी नागरिकों को दिया जाना चाहिए कि इन प्रयासों को असफल कर दिया गया।
प्रतिबंधित आतंकी संगठन ने लिया था जिम्मा
एक समूह ने खुद को रेजिस्टेंस फ्रंट टर्फ कहते हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह समूह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्करे तैयबा से जुड़ा हुआ है। यह उल्लेखनीय है कि भारत ने मैं और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमेटी की सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम को अर्धवार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसमें टर्फ के बारे में स्टाफ इनपुट दिए गए थे। इससे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए कर के रूप में टर्फ की भूमिका सामने आई थी। इससे पहले भी दिसंबर 2023 में भारत में इस टीम को लश्कर तयबा और जैसे मोहम्मद के बारे में सूचित किया था। जो टर्फ जैसे छोटे आतंकवादी समूह के माध्यम से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं इस संबंध में 25 अप्रैल को अन सिक्योरिटी काउंसिल प्रेस वक्तव्य में टर्फ के संदर्भ को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
हमलावरों की हुई पहचान
श्री मिस्त्री ने साफ़ तौर पर कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं। रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा किए गए दावे और लश्करे तैयबा से ज्ञात सोशल मीडिया हैंडल द्वारा इसको रिपोर्ट किया जाना इसकी पुष्टि करता है चश्मदीद गवाहों और विभिन्न जांच एजेंटीयों को उपलब्ध अन्य सूचनाओं के आधार पर हमलावरों की पहचान भी हुई है। हमारी इंटेलिजेंस ने इस टीम के योजना करो और उनके समर्थन की जानकारी जुटाई है। इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने के पाकिस्तान के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड से भी जुड़ी हुई है, जिसके लिखित और स्पष्ट दस्तावेज उपलब्ध है।
आतंकियों का पनाहगार पाकिस्तान
पाकिस्तान दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए एक स्थल के रूप में पहचान बन चुका है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी सजा पाने से बच्चे रहते हैं इसके अलावा पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर विश्व और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को जानबूझकर गुमराह करने के लिए भी जाना जाता है। साजिद मीर का मामला जिसमें इस आतंकवादी को पाकिस्तान ने मृत घोषित कर दिया था और फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव के परिणाम स्वरुप वह जीवित पाया गया। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है।
रोकना और उनसे निपटना दोनों को बेहद आवश्यक था
यह स्वाभाविक है कि पहलगाम में हुए इस हमले से जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ भारत के अन्य भागों में भी आक्रोश देखा गया। यह आवश्यक समझा गया की 22 अप्रैल के हमले के अपराधियों और उनके योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। हम लोगों ने एक पखवाड़े तक इंतजार किया, इसके बाद के बाद इन्हें रोकना और उनसे निपटना दोनों को बेहद आवश्यक समझा गया। यह कार्रवाई आतंकवाद की इंफ्रास्ट्रक्चर को समाप्त करने और भारत में भेजे जाने वाले संभावित आतंकवादियों को अक्षम बनाने पर केंद्रित है। आपको यह भी स्मरण होगा कि 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकवादी हमले पर एक प्रेस वक्तव्य जारी किया था जिसमें आतंकवाद के इस निंदनीय कार्य के अपराधियों आयोजकों फाइनेंसरों और प्रायोजकों को जवाब देकर उन्हें न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। भारत की आज की इस कार्यवाही को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।