न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
अपनी पार्टी नेताओं के साथ बैठक में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि राजद सुप्रीमों लालू यादव अक्टूबर तक जेल से बाहर आ सकते हैं। लालू के जेल से बाहर निकलने वाले बयान पर पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पार्टी ऐसी बयानबाजी से एकतरफ न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहती है तो दूसरी तरफ दल छोड़ने वालों की भगदड़ रोकना चाहती है। उनके ये दोनों मकसद पूरे नहीं होंगे।
सुशील मोदी ने ट्वीट कर राजद पर हमला बोलते हुए कहा कि लालू प्रसाद को 1000 करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में पारदर्शी और लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद जेल की सजा दी गई। उनको जमानत देना या न देना अदालत का काम है। राजद अक्टूबर में उनके पक्ष में फैसला आने की बात किस आधार पर कह सकता है?
राजद का मानना है कि लालू के जेल से बाहर निकलने के बाद उनके पास एक स्टार प्रचारक होगा। राजद की इस अवधारणा का खंडन करते हुए सुमो ने कहा कि एनडीए ने गरीबों की सेवा और विकास के काम पर वोट मांगे, इसलिए जनता ने झोली भर कर आशीर्वाद दिया। लालू प्रसाद के जेल में रहने या उन्हें जमानत मिलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
सुमो ने एक बार फिर राजद के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 1990 से 2004 तक राजद शासन के उस दौर में जिस तरह से सड़कें जर्जर हुईं, शहर-गांव अंधेरे में डूबे थे, हत्या-अपहरण- नरसंहार की घटनाओं के कारण लोगों का जीना दूभर हुआ और लाखों लोगों को महज दो वक्त की रोटी के लिए पलायन करना पड़ा था।
मोदी ने आगे कहा कि लालू प्रसाद यदि जनता के बीच रहते हैं, तो उनके 15 साल के भयावह शासनकाल की याद दिलाने में हमें कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। लालू प्रसाद यदि 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले जमानत पर छूट जाते हैं, तो एनडीए के लिए तीन चौथाई बहुमत पाकर 2010 का चुनाव परिणाम दोहराना आसान होगा। उस समय लालू प्रसाद जेल से बाहर थे और उनकी पार्टी मात्र 22 सीटों पर सिमट गई थी। नेता प्रतिपक्ष का पद पाने की भी हैसियत राजद की नहीं थी।