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न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव : लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद शराब की दुकानें सजीं और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी, शराब यूं ही नहीं है सरकार से लेकर व्यापारियों तक की पसंद, यहां समझिए इसका गणित

न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :

डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :

लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद से जिस तरह शराब की दुकानें सजीं और सोशल डिस्टेंसिंग को धता बताते हुए जिस तरह लोगों का हुजूम वहां जुटा वह किसी से छिपा नहीं है। दुकानों पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन राज्य सरकारों ने इसे खजाना भरने का जरिया जरूर बना लिया। वहीं होटल, रेस्टोरेंट, पब और बार की ओर से भी आग्रह किया जा रहा है कि उन्हें भी अपने यहां रखी शराब की बिक्री की अनुमति दी जाए। दरअसल होटल ही सबसे लंबे काल तक के लिए प्रभावित होने वाले हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद भी उनकी स्थिति सामान्य होने में महीनों लग सकते हैं। ऐसे में शराब बिक्री के जरिए जहां वह स्टाॅक खाली करना चाहते हैं, वहीं इससे आने वाली राशि वेतन भुगतान समेत दूसरे कामों में आ सकती है।

हर दिन 700 करोड़ रुपये अल्‍कोहल की बिक्री से मिलता है टैक्‍स

सामान्य दिनों में हर प्रकार के अल्कोहल की बिक्री से राज्य सरकारों को रोजाना लगभग 700 करोड़ रुपए बतौर टैक्स मिलते हैं। इस प्रकार पिछले 40 दिनों में राज्य सरकारों को 28,000 करोड़ रुपए का नुकसान पहले ही हो चुका है। शराब उत्पादक कंपनियों के मुताबिक अल्कोहल की कुल बिक्री में लगभग 30 फीसद हिस्सेदारी होटल, रेस्टोरेंट, पब व बार की होती है।

नुकसान कम करने के लिए बार और रेस्‍टोरेंट को मिल सकती है बिक्री की इजाजत

इस नुकसान को कम करने के लिए राज्य सरकार रेस्टोरेंट और बार मालिकों को शराब की रिटेल बिक्री की इजाजत देने पर विचार कर सकती है। होटल व रेस्टोरेंट एसोसिएशन सरकार से इस प्रकार की मांग कर रही हैं। हालांकि होटल, रेस्टोरेंट व बार से अल्कोहल की बिक्री के लिए राज्यों को अपने आबकारी नियमों में बदलाव करना होगा। रेस्टोरेंट, पब और बार को बोतलबंद शराब बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाता है। उन्हें सिर्फ शराब पिलाने का लाइसेंस दिया जाता है।

शराब की बिक्री से मिलने वाला टैक्‍स देश की जीडीपी का एक फीसद  

रेस्टोरेंट व बार की मांग के पक्ष में अल्कोहल बनाने वाली कंपनियां भी आ रही हैं। दरअसल स्टॉक नहीं निकलने पर इन कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ेगा। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआइएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी के मुताबिक देश भर में अल्कोहल का कारोबार 4 लाख करोड़ से अधिक का है। टैक्स के रूप में सालाना लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए राज्यों की सरकारों को मिलते हैं। यह राशि देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के एक फीसद से अधिक है।

फाइव स्‍टॉर होटलों में है अच्‍छी खासी बिक्री

दिल्‍ली स्थित फाइव स्टॉर होटल ली मरेडियन के सीओओ तरुण ठुकराल ने बताया कि उनके होटल में अल्कोहल का कारोबार सालाना 5-6 करोड़ का है। बियर की एक्सपायरी होती है, इसलिए उन्हें बियर तो फेंकनी पड़ेगी, लेकिन वाइन व व्हिस्की की बोतल रखने में कोई दिक्कत नहीं है। वे इन बोतलों को बेच नहीं सकते हैं क्योंकि उन्हें शराब या बियर की बंद बोतल बेचने की इजाजत नहीं है।

रेस्‍टोरेंट से भी हो सकती है बोतलबंद शराब की बिक्री

नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल प्रकुल कुमार ने बताया कि रेस्टोरेंट में रखी हुई बोतलबंद शराब की होम डिलीवरी और रिटेल में बेचने की इजाजत को लेकर कई राज्यों की सरकार से उनकी बातचीत चल रही है। सरकार उन्हें रिटेल बिक्री की इजाजत दे देती है तो शराब के लिए दुकानों पर लगने वाली भीड़ के कम होने के साथ उनके स्टॉक भी निकल जाएंगे और सरकार को भी राजस्व का फायदा होगा।

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