
न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : मेहसी- मोतिहारी/ बिहार :
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पूर्वी चम्पारण जिले के मेहसी प्रखंड के हरपुरनाग पंचायत के सुलसाबाद ग्राम में कोविड 19 का अनुपालन करते हुए लीची फसल के उत्पादन एवं विपरण तथा किसानों की समस्याओं को लेकर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में लीची फसल के उत्तम बागवानी क्रियाओं को कृषि वैज्ञानिक द्वारा विस्तार पूर्वक से बताया गया।
लीची के फसल का उत्पादन कैसे बढ़े तथा स्टिंग बाग बीमारी से निजात कैसे मिले इस पर वैज्ञानिकों ने किसानों को जानकारी दी। लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर ने इस पर विशेष रूप से विस्तार पूर्वक चर्चा किए।
जिला कृषि पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी द्वारा लीची के उत्पादन के विस्तृत कार्यक्रम की जानकारी दिया गया। उन्होंने बताया की दिए गए महावार कार्यक्रम को अपनाकर लीची का उत्पादन एवं गुणवत्ता बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया कि लीची फल लगने की प्रक्रिया पूर्ण होने के पहले और बाद में कितनी मात्रा में खाद्य एवं कीटनाशक दवाई उपयोग में किया जाएगा। इसका विस्तार पूर्वक से किसानों को जानकारी दी गई। इस संगोष्ठी में लीची किसान एवं व्यापारी ने भी अपनी समस्याओं को रखा। उन्होंने स्टिंग बंग बीमारी के निराकरण हेतु कार्य योजना बनाने का अनुरोध जिला पदाधिकारी से किया ।
जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि मेहसी में 11000 हेक्टेयर में लीची की खेती होती है, भारत में लीची के उत्पादन मैं बिहार का मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, मे लीची का उत्पादन ज्यादा होता है। परंतु मेहसी के लीची की क्वालिटी अच्छी होती है इसके प्रचार प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। लीची का मार्केटिंग की किया जाना अति आवश्यक है। इसके प्रोसेसिंग मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि किसानों को इनकम हो सके।
उन्होंने किसान उत्पादक संगठन(FPO)के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि FPO के द्वारा लीची के उत्पादन एवं मार्केटिंग में विशेष सहायता मिलेगी। उन्होंने किसानों की समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया।
इस संगोष्ठी में जिला कृषि पदाधिकारी, पीडी आत्मा, जिला उद्यान पदाधिकारी, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर, किसान एवं लीची व्यापारी ने भाग लिया।