न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
बिहार के कथित सुशासन राज में सत्ताधारी दल के नेता और अफसरों के गठजोड़ का खुलासा हुआ है। बता दें कि जमीन के निबंधन में अफसरों की मिलीभगत से जो खेल किया गया है वो जमीन सत्ताधारी BJP के एक एमएलसी की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई है। हालांकि जमीन क्रेता का कहना है कि जमीन औद्योगिक या आवासीय नहीं बल्कि खेती योग्य है। एक पोर्टल ने 4 दिन पहले पूरे खेल से पर्दा उठाया था। खबर के बाद पटना से लेकर मोतिहारी तक सनसनी फैल गयी है। खबर में यह खुलासा किया था कि सत्ताधारी दल के एक नेता की पत्नी के नाम पिछले साल हुई जमीन रजिस्ट्री में सिस्टम नंगा हो गया था। अफसर-खादी गठजोड़ से सरकारी राशि का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ।
DM ने किया जांच टीम गठित
मोतिहारी में सत्ताधारी दल के एक विधान पार्षद की पत्नी के नाम पर लगभग 11 बीघा जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा किया गया है। खबर सामने आने के बाद फर्जीवाड़ा से पर्दा उठ गया।इसके बाद वरीय अधिकारी हरकत में आये हैं। मोतिहारी DM शीर्षत कपिल अशोक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच टीम गठित कर दी है। ADM की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। जांच टीम से पूरे मामले की तत्काल जांच कर 3 दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है। जांच टीम में ADM के अलावे अनुमंडल लोक शिकायत पदाधिकारी और भूमि सुधार उप समाहर्ता सदर अनुमंडल को बनाया गया है।
जानें क्या है मामला?
मामला पूर्वीचंपारण के मोतिहारी निबन्धन कार्यालय से जुड़ा है। मोतिहारी के निबंधन कार्यालय में 14 मार्च 2020 को विभागीय मिलीभगत से लगभग 8 करोड़ के राजस्व की चोरी की गई है। एक साल बाद यह मामला साामने आया है। इसके बाद हड़कंप मचा है। मामला यूं है कि मोतिहारी निबंधन विभाग में 14 मार्च 2020 को दो दस्तावेजों का निबंधन हुआ। निबंधन में ही खेल कर अधिकारी-माफिया मालोमाल हो गये। मोतिहारी रजिस्ट्री ऑफिस में तुरकौलिया अंचल के मौजा-लक्ष्मीपुर, थाना नंबर-172, दस्तावेज नंबर 2838-2837 टोकन नंबर 2896 व 2865 से निबंधन हुआ। इसके तहत करीब 1400 डिसमिल जमीन का निबंधन किया गया।
आवासीय भूमि को दो नम्बर कृषि भूमि बता लगाया राजस्व का चूना
मोतिहारी शहर से तुरकौलिया जाने वाली स्टेट हाईवे के बगल में 1400 डिसमिल जमीन के निबंधन में ही खेल कर दिया गया। तमाम नियमों को ठेंगा दिखाते हुए जो जमीन आवासीय या व्यावसायिक हो सकती थी उसे दो नम्बर कृषि भूमि बता कर राजस्व की चोरी की गई। दो नम्बर कृषि भूमि बता कर इस जमीन की कीमत सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 12 करोड़ 55 लाख 81 हजार रू दिखाया गया। जबकि सरकार की तरफ से जो एमवीआर लागू है उसके अनुसार थाना नंबर-172 मौजा लक्ष्मीपुर का रेट व्यवसायिक का 6 लाख प्रति डिसमिल, रोड़ साइड का 4 लाख प्रति डिसमिल, वासकित जमीन का 2.5 लाख,डेवलपिंग का 2 लाख और सबसे कम दो फसला का 90 हजार रू प्रति डिसमिल सरकारी रेट तय है। यहीं पर विभागीय मिलीभगत से खेल किया गया।
200 मीटर के दायरे में मकान हो तो आवासीय के तौर पर होता है प्लॉट का निबंधन
निबंधन विभाग के अधिकारी,जमीन जांच करने वाले कर्मी और जमीन क्रेता की मिलीभगत से व्यवसायिक या आवासीय जमीन को दो फसला बता कर प्रति डिसमिल 90 हजार रू की दर से सरकारी राजस्व जमा कराई गई। यहीं पर बड़ा खेल हुआ। जिस जमीन का सरकारी रेट 80-90 करोड़ होना चाहिए था उसे सिर्फ 12 करोड़ 55 लाख 81 हजार रू दिखाया गया और इसी मूल्य पर सरकारी राजस्व जमा कराया गया। इस तरह से करीब 8 करोड़ के राजस्व का सीधे-सीधे नुकसान हुआ है। जबकि उस प्लॉट के बगल में पेट्रोल पंप एवं अन्य आवासीय भवन हैं। जमीन निबंधन में नियम यह है कि अगर जिस जमीन पर खेती होती हो लेकिन उसके 200 मीटर में अगर मकान हो तो उस जमीन को आवासीय मानते हुए निबंधन आवासीय कैटेगरी में होगा। इसके साथ ही कई अन्य गाईडलाइन्स सरकार ने जारी किये हैं। लेकिन सारे नियमों को दरकिनार कर यह बड़ा खेल खेला गया है।
मोतिहारी के जिला अवर निबंधक ने स्वीकार किया की गड़बड़ी हुई
इस बड़े घोटाले की बात सामने आने पर मोतिहारी का जिला अवर निबंधन कार्यालय कटघरे में है। आखिर इतनी बड़े प्लॉट का जब निबंधन हो रहा था पूरे तौर पर जांच क्यों नहीं कराई गई। जब उस जमीन के कुछ दूरी पर पेट्रोल पंप,आईटीआई व अन्य आवासीय और व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं तो फिर 1400 डिसमिल जमीन को दो फसला बता कैसे निबंधन किया गया? इस संबंध में मोतिहारी के जिला अवर निबंधक विनय कुमार प्रसाद ने कहा कि हां जमीन की रजिस्ट्री तो हुई है। जहां तक राजस्व चोरी की बात है तो सीओ से भी रिपोर्ट मांगी गई है। निबंधक ने न्यूज़ टुडे टीम से स्वीकार किया की गड़बड़ी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि हमने पूरे मामले को तिरहुत प्रमंडल के AIG को रिपोर्ट भेज दी है।
रजिस्ट्रार के साथ साथ तिरहुत AIG पर भी शक
गत 26 मार्च को करोड़ों की सरकारी राशि की क्षति होने का खुलासा किया था। अब यह जानकारी लगी है कि इस तरह के फर्जीवाड़ा में रजिस्ट्रार की भूमिका कटघरे में है। इतनी बड़ी गड़बड़ी के खुलासे के बाद तिरहुत AIG पर भी शक गहराते जा रहा है। क्यों कि रजिस्ट्रार ने स्पष्ट कहा है कि पूरा मामला AIG को रेफर किया गया। यहीं पर रजिस्ट्रार की भूमिका सवालों के घेरे में आ जाती है। बड़ा सवाल यही है कि जब पता चला तो उन्होंने खुद स्थल निरीक्षण क्यों नहीं किया? क्या उन्होंने इस मामले की जानकारी जिले के कलक्टर को दी? क्यों कि कलक्टर ही ऐसे मामलों के लिए सक्षम अधिकारी होते हैं। रजिस्ट्रार ने कहा कि सीओ से रिपोर्ट मांगी गई है तो सीओ इस मामले में क्या रिपोर्ट देंगे जब सरकार ने ही स्पष्ट पर गाइडलाइन जारी किया है। मोतिहारी रजिस्ट्रार कहते हैं कि प्रमाणित होते ही सर्टिफिकेट केस किया जाएगा।
ज्ञात हो कि भीतर ही भीतर मामला संज्ञान में आने के बाद भी अधिकारियों ने कोई एक्शन नहीं लिया इससे साफ हो गया कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही थी। बता दें एक दिन में साढ़े 10 बीघा जमीन की रजिस्ट्री में बड़ा खेल कर 8 करोड़ की सरकारी राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया गया है।
बता दें कि जमीन के निबंधन में अफसरों की मिलीभगत से जो खेल किया गया है वो जमीन सत्ताधारी BJP के एक एमएलसी की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई है। हालांकि जमीन क्रेता का कहना है कि जमीन औद्योगिक या आवासीय नहीं बल्कि खेती योग्य है।