न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
फिल्म ‘ गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की नकल कर पिता के हत्यारे को मारी थी 32 गोली मारने एवं 20 से अधिक हत्या और लूट मामले में संलिप्त कुख्यात अविनाश श्रीवास्तव उर्फ अमित को पटना पुलिस तीन माह भी जेल में नहीं रख सकी। इसी साल सितंबर माह में पटना पुलिस खांजेकला और गर्दनीबाग में हत्याकांड मामले में अविनाश को रक्सौल के होटल से गिरफ्तार कर पटना लेकर आई थी। वह रक्सौल से नेपाल भागने की फिराक में थे। पटना पुलिस ने उसे बेउर जेल भेज दिया। वह कुछ दिन पहले जमानत पर बाहर आ गया। जेल में बंद कुख्यात जमानत पर कब बाहर आ जा रहे हैं, इसके बारे में पुलिस जानकारी तक नहीं रख रही है। अविनाश को पिछले चार साल में वैशाली पुलिस तीन बार और पटना पुलिस एक बार गिरफ्तार कर चुकी है। इस बार वह गांजा के साथ वैशाली में गिरफ्तार किया गया है।
चार साल में तीन बार वैशाली पुलिस के हत्थे चढ़ा
अविनाश चार सालों के अंदर तीसरी बार वैशाली पुलिस के हत्थे चढ़ा है। इस बार एसटीएफ, डीआइयू व पुलिस ने महनार से 20 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया। उसके साथ फुलवारी शरीफ का उसका साथी भी गिरफ्तार किया गया है। वैशाली पुलिस ने जुलाई 2016 में उसे महुआ के हरपुर बेलवा में सेंट्रल बैंक में चोरी का प्रयास करते हुए पकड़ा था। उस वक्त उसने एक पुलिसकर्मी पर पिस्तौल भी तान दी थी। इसके बाद दिसंबर 2017 में पुलिस ने उसे बिदुपुर से गिरफ्तार किया था।
मिलती थी 40 हजार सैलरी
अविनाश बेंगलुरु में आईटी विश्व प्रसिद्ध इंफोसिस कंपनी में वर्ष 2006 तक 40 हजार रुपए की सैलरी पर नौकरी करता था। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से एमसीए करने के बाद उसने इंफोसिस की यह जॉब पाई थी। पिता की हत्या के बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक-एक करके अपने पिता के सभी हत्यारों को मौत की नींद सुला दिया।
फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासपुर से ली प्रेरणा
1 जुलाई 2013 को अविनाश को पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। एसएसपी के सामने उसने अपने पिता की हत्या में शामिल 5 लोगों की हत्या करने की बात स्वीकार की थी। अविनाश ने कहा था कि जेल से आने के बाद वह बाकी को भी मार देगा। अविनाश ने पुलिस को बताया कि फिल्म ‘ गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उसकी नकल की गई है। इस फिल्म के अंत में भी बदमाश को 32 गोलियां मारी जाती है।
2002 में उठाया हथियार
अविनाश कंकड़बाग थाना क्षेत्र के एमआईजी कॉलोनी के रोड नंबर 30 का निवासी है। जो दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी से पढ़ा है। अंग्रेजी का अध्यापक भी रह चुका है। 2002 में यह दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम करता था और 40 हजार तनख्वाह मिल रही थी। अविनाश पिता की हत्या के बाद जॉब छोड़ पटना लौट आया। 2003 में उसने हथियार उठा लिया। उसे पता चला कि पिता की हत्या में मोइन खां और उसके गैंग का हाथ है। कुख्यात ने मोइन के सीने में 32 गोलियां उतार दीं थीं गिरफ्तार भी हुआ। एक अधिवक्ता ने इसके जमानत का विरोध किया था। जेल से बाहर आने के बाद कुख्यात ने उसकी भी हत्या कर दी थी। अविनाश गर्दनीबाग में दीना गोप हत्याकांड में भी आरोपित है। अविनाश ने पूछताछ में बताया कि उसने विजय गोप, अजय गोप, लालू गोप, अजीत, मोइन उर्फ पप्पू, अधिवक्ता, इम्तियाज समेत 20 लोगों की हत्या की थी।
एसपी रह गए थे आश्चर्यचकित
इस अपराधी के अपराध की लंबी फेहरिस्त तो है ही साथ ही इसके एक से बढ़कर एक किस्से भी हैं। जुलाई 2016 में वैशाली पुलिस ने अविनाश को महुआ से गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान उसने तत्कालीन एसपी राकेश कुमार को कहा था कि अपना समय मत नष्ट करिए, गूगल पर सर्च कीजिए सब पता चल जाएगा। एसपी ने जब गूगल पर सर्च किया तो उसके कारनामे पढ़कर दंग रह गए थे। अविनाश ने पुलिस को यह भी बताया था कि उसे पूर्व में तीन गोलियां भी लगीं थीं।
ब्लू रंग मानता भाग्यशाली
अविनाश ब्लू कलर को भाग्यशाली मानता है। वह हर घटना के वक्त ब्लू जींस व ब्लू शर्ट पहनता है। बैंक में चोरी के समय भी उसके साथी कांवरिया ड्रेस में थे, लेकिन वह ब्लू जींस व शर्ट पहने हुए था। पुलिस ने बताया कि पहली हत्या करने के वक्त भी अविनाश ने ब्लू जींस व शर्ट पहन रखी थी।