न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
गृह मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार ने 20 अप्रैल से नए लॉकडाउन में कुछ क्षेत्रों को छूट देने की घोषणा की है। इसका अर्थ है कि अधिक क्षेत्रों और श्रमिकों को काम करने की अनुमति होगी। इस सप्ताह की शुरुआत में गृह मंत्रालय ने धारा 14 के अनुसार संशोधित दिशानिर्देशों को जारी करते हुए कई वाणिज्यिक और निजी प्रतिष्ठानों को 20 अप्रैल से परिचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दी है। इन प्रतिष्ठानों में शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन करते हुए संचालन की अनुमति दी जा सकती है। इसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डीटीएच सेवाएं, आइटी सेवाएं, सरकारी डाटा और कॉल सेंटर, ई-कॉमर्स कंपनियां और उनकी संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला शामिल है (आवश्यक अनुमति मिलने के बाद)। गृह मंत्रालय के निर्देशों पर लोगों ने अलग-अलग तरह से प्रतिक्रियाएं दी हैं। लोकल सर्कल्स ने इस पर एक सर्वे किया है कि राज्य सरकारों को इन निर्देशों को कैसे अपनाना और लागू करना चाहिए। देश में 16 हजार लोगों ने सर्वे में भाग लिया है।पूर्व में प्रतिबंधों का किया था समर्थन
लॉकडाउन के तीसरे सप्ताह में लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए पहले सर्वेक्षण में 79 फीसद नागरिक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 15 अप्रैल से कड़े प्रतिबंधों के पक्ष में थे। गौरतलब है कि जिन जिलो में 21 दिन बीतने के बाद भी कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है, वहां राज्य सरकारें वाणिज्यिक और निजी प्रतिष्ठानों को गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक कार्य करने की अनुमति दे सकती है।पहला सवाल
सर्वे में पूछा गया कि 31 मार्च के बाद राज्य सरकारों को एक या एक से अधिक मामलों वाले जिलों में इसे कैसे लागू करना चाहिए। 41 फीसद की राय थी कि वे दिशानिर्देशों के माध्यम से सभी वस्तुओं के पक्ष में हैं, और लोगों के बाहर निकलने का समर्थन नहीं करते हैं। वहीं 29 फीसद वस्तुओं की आपूर्ति के पक्ष में और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी क्षेत्रों के लोगों के बाहर निकलने पर प्रतिबंध चाहते हैं। वहीं 27 फीसद ने कहा कि सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के पक्ष में और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी क्षेत्रों के लोग लॉकडाउन में रहें।दूसरा सवाल
अगला सवाल पूछा गया कि राज्य सरकारों को उन जिलों में दिशा निर्देशों को कैसे लागू करना चाहिए जिनमें अभी तक या 31 मार्च के बाद से कोई मामला वा सामने नहीं आया है। इस पर मिली प्रतिक्रिया के अनुसार, महज 14 फीसद लोगों ने कहा कि सभी वस्तुओं की आपूर्ति होनी चाहिए और लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। जबकि 56 फीसद ने सभी सामानों की आपूर्ति करने और आवाजाही को गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार प्रतिबंधित करने की बात कही। 12 फीसद ऐसे थे जिन्होंने सभी वस्तुओं की आपूर्ति का समर्थन किया, लेकिन आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी क्षेत्रों के लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित करने की बात कही।