न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : समस्तीपुर-बिहार/ नई दिल्ली :
बिहार के समस्तीपुर रेलवे डीजल शेड का 6 डीजल इंजन जल्द ही बांग्लादेश की बॉडगेज रेल की पटरियों पर दौड़ना शुरू कर देगा. भारत की ओर से बांग्लादेश को 10 बॉडगेज इंजन सौंपने की तैयारी कर ली गयी है. सोमवार को ये 10 इंजन बांग्लादेश को सौंप दिए जाएंगे. इस बाबत रेलवे की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि इस कार्यक्रम में भारत और बांग्लादेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे. बांग्लादेश को ये इंजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सौंपे जाएंगे.
उधर, खबर यह भी है कि भारत की ओर से बांग्लादेश को सौंपे जाने वाले 10 डीजल इंजनों में से 6 इंजन बिहार के समस्तीपुर डीजल शेड के भी शामिल हैं. इसके अलावा, विशाखापत्तनम और देश के अन्य शेडों के चार इंजन भेजे जाएंगे. भारत बांग्लादेश को समस्तीपुर डीजल शेड के जिन 6 इंजनों को सौंपने जा रहा है, वे सहरसा-समस्तीपुर, पटना की अर्चना एक्सप्रेस, रक्सौल की सुविधा एक्सप्रेस और बरौनी से छत्तीसगढ़ जाने वाली सहित अन्य जगहों की ट्रेनों में इंजन लगकर चल चुके हैं.
रेल मंत्रालय के निर्देश पर समस्तीपुर डीजल शेड से इन सभी 6 इंजनों को सियालदह शेड को भेज दिया गया है. जहां से इसे अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद बांग्लादेश को भेजा जाएगा. समस्तीपुर मंडल से भेजे गये इन आधा दर्जन डीजल इंजनों का मॉडल डब्ल्यूडीएम 3डी एलको वर्जन है. यह इंजन मंडल से गुजरने वाली विभिन्न मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में करीब 7 से 10 साल तक अपनी सेवा दे चुका है. इस दौरान इन इंजनों की गुणवत्ता काफी सराहनीय रही है.
समस्तीपुर रेल मंडल के सीनियर डीएमई डीजल महानंद झा ने बताया कि रेलवे के वरिष्ठ पदाधिकारियों के निर्देश पर सभी इंजनों को सियालदह शेड को भेजा जा चुका है. जहां से आगे की प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि गणमान्य लोगों में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों, रेल मंत्रियों तथा उच्चायुक्तों, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीमा के दोनों ओर के स्थानीय स्टेशनों के अन्य अधिकारी शामिल हैं. भौतिक रूप से इंजनों का आदान-प्रदान पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में पूर्वी रेलवे के गेडे स्टेशन और बांग्लादेश की तरफ दर्शना स्टेशन पर होगा. बांग्लादेश ने इन इंजनों की खरीद के लिए पिछले साल अप्रैल में भारत को एक प्रस्ताव भेजा था.
बांग्लादेश को दिए जा रहे 33 सौ हॉर्सपावर वाले डब्लूडीएम 3 डी लोको इंजनों की उम्र 28 साल या उससे अधिक हैं. इन्हें 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया है. ये माल ढुलाई के साथ-साथ यात्री गाड़ियों के लिए उपयुक्त हैं और इनमें माइक्रोप्रोसेसर आधारित नियंत्रण प्रणाली लगा हुआ है.
भारतीय रेलवे के मुताबिक, उसने बांग्लादेश रेलवे की जरूरत को समझते हुए इन इंजन को तैयार किया है और बांग्लादेश रेलवे हमारा वो साझेदार है, जिसके साथ अब हम सप्लाई , मेंटिनेंस और अन्य महत्वपूर्ण काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इन लोको इंजन के जरिए बांग्लादेश के रेलवे संचालन में आसानी होगी. वहीं, भविष्य में दोनो देशों के रेल विभाग के बीच साझेदारी बढ़ेगी.