न्यूज़ टुडे ब्रेकिंग अपडेट :
रिंकू गिरी, स्थानीय संवाददाता, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★तीन मंजिल के इस मातृ-शिशु अस्पताल में मरीजाें के लिए दाे लिफ्ट भी लगाई जा रही है। इससे अस्पताल में आने वाली महिलाओं और बच्चाें काे सुविधा मिलेगी। गर्भवती महिलाओं काे पहली और दूसरी मंजिल पर आने-जाने में परेशानी नहीं हाेगी। साथ ही बच्चाें काे एडमिट कराने के दाैरान भी परेशानी नहीं हाेगी। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती और समुचित स्टॉफ के साथ-साथ हाइटेक सीटी स्कैन मशीन, बेहतर आइसीयू, एसएनसीयू वार्ड, एनआरसी (कुपोषण) शाखा, लेबर रूम, आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, हाईटेक जेनरेटर, डिजिटल ओपीडी समेत कई आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी।★
बिहार के मोतिहारी सदर अस्पताल के पीछे बन रहे मातृ-शिशु अस्पताल भवन का काम लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही इसे स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया जाएगा। इस अस्पताल से न केवल गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी बल्कि नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की भी पूरी सुविधा प्रदान की जाएगी। अस्पताल 100 बेड का होगा।
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए अस्पताल में समुचित स्टॉफ के साथ-साथ सभी प्रकार के टेस्टों के लिए आधुनिक उपकरण भी शामिल होंगे। भवन का निर्माण बीएमएसआईसीएल के द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कराया जा रहा है।
अस्पताल की शुरुआत अक्टूबर में की जानी थी, लेकिन कई महत्वपूर्ण कार्य शेष होने के कारण इसे बढ़ाकर मार्च किया गया है। बताया जाता है कि मातृ-शिशु अस्पताल 33.87 करोड़ की लागत से बन रहा है। इस यूनिट के शुरू होने से जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का और विस्तार होगा।
प्रसव के लिए लेबर रूम के साथ ही महिला वार्ड मातृ-शिशु अस्पताल में शिफ्ट होगा। अभी यह सदर अस्पताल में संचालित है। जहां बेडों की संख्या काफी कम है। जिसके कारण कभी-कभी तो एक बेड पर दो-दो प्रसूूता को रखा जाता है। इससे दोनों को परेशानी होती है।
दाे बड़े ऑपरेशन थियेटर और एक माइनर ओटी
नये भवन में व्यवस्था होने से प्रसूता सहित नवजात को भी लाभ मिलेगा। सदर अस्पताल परिसर में बन रहे नए 100 बेड के मातृ-शिशु अस्पताल में गर्भवतियाें के लिए सीजेरियन ऑपरेशन के लिए तीन ओटी बनाए जा रहे हैं। जिनमें दाे बड़े ऑपरेशन थियेटर और एक माइनर ओटी है। अभी सदर अस्पताल में एक ऑपरेशन थियेटर ही है।
महिला व बच्चाें की अलग-अलग आईसीयू, जांच लैब
मातृ – शिशु अस्पताल पूरी सुविधाओं से युक्त हाेगा। इसमें गर्भवतियाें और बच्चाें की जांच के लिए बड़ी लैब भी बनाई जाएगी। इसके अलावा महिलाओं व बच्चों के लिए अलग- अलग आईसीयू की भी व्यवस्था होगी। तीन मंजिल के इस मातृ-शिशु अस्पताल में मरीजाें के लिए दाे लिफ्ट भी लगाई जा रही है। इससे अस्पताल में आने वाली महिलाओं और बच्चाें काे सुविधा मिलेगी। गर्भवती महिलाओं काे पहली और दूसरी मंजिल पर आने-जाने में परेशानी नहीं हाेगी। साथ ही बच्चाें काे एडमिट कराने के दाैरान भी परेशानी नहीं हाेगी। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती और समुचित स्टॉफ के साथ-साथ हाइटेक सीटी स्कैन मशीन, बेहतर आइसीयू, एसएनसीयू वार्ड, एनआरसी (कुपोषण) शाखा, लेबर रूम, आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, हाईटेक जेनरेटर, डिजिटल ओपीडी समेत कई आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी।
नए भवन में तीन लेबर रूम बनाए जा रहे
इसी तरह से डिलीवरी के लिए नए भवन में तीन लेबर रूम होंगे। जिनमें दाे सामान्य लेबर रूम और सेप्टिक लेबर रूम होगा। वर्तमान में एक ही लेबर रूम में प्रसव कराया जाता है। इसके अलावा हर बेड पर ऑक्सीजन पाइंट हाेगा। जिससे जरूरत पड़ने पर बेड पर ऑक्सीजन सुविधा मिलेगी। महिलाओं के लिए सात वार्ड बनेंगे।
मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी आएगी कमी
मातृ – शिशु अस्पताल एक ही छत के नीचे होने से मातृ- शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। यहां जन्म के बाद कुपोषित नवजात को रखकर इलाज किया जाएगा। बताया जाता है कि जिले में औसत से अधिक शिशु मृत्यु दर है। गौरतलब है कि सदर अस्पताल में प्रतिमाह तकरीबन तीन हजार प्रसव होता है।
बच्चाें के लिए 3 एसएनसीयू इनमें दाे इन व आउट
इसी तरह से नवजात बच्चाें के इलाज के लिए बेहतर सुविधा मिलने लगेगी। नए अस्पताल में बच्चाें के तीन नवजात गहन शिशु इकाई होगी। जिसमें दाे एसएनसीयू इन और आउट हाेगी और एक पीडियाट्रिक आइसाेलेशन एसएनसीयू हाेगा। अभी एक एसएनसीयू सदर अस्पताल में है। इसके साथ ही बच्चाें के लिए तीन सामान्य वार्ड भी बनाए जाएंगे। जिसमें 50 बच्चाें काे एडमिट कर इलाज किया जा सकेगा।
सदर अस्पताल में मरीजों को हर संभव बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा। सदर अस्पताल में नया ओपीडी भवन बनकर तैयार हो गया है। शीघ्र ही सभी ओपीडी एक छत के नीचे संचालित होने लगेगा। इसके अलावा 100 बेड का मातृ-शिशु अस्पताल भी बन रहा है। इसके हैंडओवर होते ही महिला व बच्चों का इलाज वहां होने लगेगा। -डॉ. अंजनी कुमार सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण।