न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
कोरोना वायरस का संक्रमण लंबा खींचने की आशंका के मद्देनजर बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही जिला अस्पतालों में भी इसकी जांच शुरू करने की कवायद की जा रही है. पहले चरण में सभी मेडिकल कॉलेजों में लैब खुलेंगे. इसके बाद उन जिलों के जिला अस्पतालों में कोरोना जांच शुरू होगी, जहां मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. यहां कोरोना जांच लैब स्थापित करने के लिए आईजीआईएमएस, पटना को नोडल एजेंसी बनाया गया है.
आईजीआईएमएस में अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों व पारा मेडिकल स्टाफ व तकनीशियनों को कोरोना जांच की विधि व तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. संस्थान के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने बताया कि शनिवार तक मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों व तकनीशियनों को प्रशिक्षण दिया गया है. रविवार से भागलपुर मेडिकल कॉलेज की टीम को ट्रेनिंग देने की शुरुआत की गई है. उन्होंने बताया कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में मेडिकल कॉलेजों में कोरोना जांच लैब बनाने की योजना बनाई गई थी.
मेडिकल कॉलेजों के बाद जरूरी हुआ तो जिला अस्पतालों में भी इस तरह की लैब स्थापित होगी.प्रो. डॉ. एनआर विश्वास ने बताया कि कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बने रहने की आशंका है. यह अचानक खत्म होनेवाली बीमारी नहीं है. इससे लंबी लड़ाई चलेगी. इसी को आधार बनाकर राज्य सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था की जा रही है. बीमारी की समय पर पहचान होने पर ही इसका इलाज प्रभावी रूप से किया जा सकेगा. इसलिए पहले चरण में मेडिकल कॉलेजों में उसके बाद जिलों के सरकारी अस्पतालों में इस तरह की लैब स्थापित करने की योजना बनाई गई है.
आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. विश्वास ने बताया कि आईजीआईएमएस में मेडकल कॉलेज से आए चिकित्सकों व तकनीशियनों को ट्रेनिंग दी जा रही है. जांच लैब के प्रभारी डॉ. एसके शाही के नेतृत्व में आईजीआईएमएस के लैब में कोरोना की जांच की जा रही है. डॉ. शाही की टीम द्वारा ही चिकित्सकों व तकनीशियनों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के बाद डॉ. शाही की मदद से उन मेडिकल कॉलेजों में लैब स्थापित होगी.