न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : मोतिहारी/ बिहार :
मोतिहारी में अगस्त क्रांति दिवस पर ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति के विरोध में अराजपत्रित राज्य कर्मचारी महासंघ, एक्टू और महासंघ गोपगुट से सम्बद्ध सभी संगठनों के कर्मचारियों ने आज बेलीसराय स्थित संघ कार्यालय पर धरना व प्रदर्शन किया।
अराजपत्रित राज्य कर्मचारी महासंघ के जिला संयोजक हरिनारायण सिंह ने कहा कि सरकार जबरन कर्मियों को हटाने के लिए साजिश के तहत योजना बनाई है।
गोप गुट के नेता भाग्य नारायण चौधरी ने बताया कि कर्मचारियों ने मुख्य रूप से 44 श्रम अधिकारों को 4लेबर कोड में समेटने, 50वर्षों के बाद सरकारी कर्मचारियों की जबरिया सेवानिवृत्त करने, काम के आठ घण्टे को 12 घंटे करने, महंगाई भत्ता सीज करने, शिक्षित बेरोजगारों को रिक्त पदों पर नियुक्त नहीं करने, सेवानिवृत्त पदाधिकारियों कर्मचारियों को अवधि विस्तार, संविदा पर नियोजित करने, अनुबंध संविदा, नियोजित, मानदेय, प्रोत्साहन राशि, ठेका पर कार्यरत कर्मचारियों की सेवा नियमित करने/नगर परिषद, नगर निगम, जिला परिषद, विद्यालय में नियोजित शिक्षकों आदि की सेवा नियमित स्थायी करने, कोरोना संक्रमण में सफाई कर्मचारियों का 50लाख बीमा करने, पुरानी पेंशन योजना लागू करने, निर्माण मजदूरो, कृषि मजदूरों, प्रवासी मजदूरों आदि की मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई।
सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार हमारे मांगो को नही मानती है तो हम भी बैठने वाले नहीं है। आज 09अगस्त1942 को देश ने नारा दिया था कि”अंग्रेजों भारत छोड़ो”अंग्रेजों को भगाया था तो आज फिर हम नारा देते हैं कि मोदी सरकार गद्दी छोड़ो, तानाशाही बन्द करो अन्यथा हम भी बैठने वाले नही है।
सत्याग्रह धरना सभा की अध्यक्षता विष्णु देव यादव, भैरव दयाल सिंह, जितेंद्र शर्मा, अच्छयुतानन्द पटेल, राघव साह, भूपेंद्र कुमार लाल, भाग्य नारायण चौधरी, नासिर हुसैन खां, भरत राम, राजेश कुमार, विशेश्वर कुशवाहा, मजिस्टर मांझी, संजय कुमार, अशोक कुशवाहा, आनंद कुमार, कृष्ण कांत गिरी, सविता कुमारी आदि ने सम्बोधित किया।
धरना में सभी विभागों के स्थायी कर्मचारियों, रसोइया, आशा, आवास सहायक, निर्माण मजदूर, के एएनएम, नगर परिषद के कर्मचारियों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही। धरना में निजीकरण, ठेका, कटनी छंटनी बन्द करने और सभी सेवा स्थायी करने तथा केंद्र राज्य सरकार के रिक्त पदों पर बहाल करने की मांग की गईऔर रेल और संसाधनों को बेचने की निंदा की गई।