न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
अफसरशाही के खिलाफ बगावत पर उतरे मंत्रियों का कुनबा हर दिन बढ़ रहा है। नीतीश के एक और मंत्री नीरज बबलू ने भी सहनी प्रकरण पर कहा है कि कई विभागों में अफसरशाही है।
मदन सहनी के समर्थन में उतरे नीरज बबलू ने माना है कि नीतीश सरकार के दूसरे विभागों में भी अफसरशाही है। इस तरह मंत्री ने अफसरशाही के बहाने नीतीश कुमार के काम-काज के तरीकों पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। इससे पहले मंत्री रामप्रीत पासवान ने भी कहा था कि बिहार में असफरशाही हावी है।
अफसरशाही सरकार को कर रहा नुकसान
नीरज बबलू भाजपा से आते हैं और नीतीश कैबिनेट में वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री हैं। कहा कि एक मंत्री भी अगर ऐसी शिकायत कर रहा है तो सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। सरकार चलाना मंत्रियों का काम है। योजनाओं की जानकारी देना भी मंत्रियों का काम है, लेकिन ऐसा नहीं होता तो ये मंत्रियों के अधिकारों का हनन है। अधिकारियों को मंत्रियों के नए आइडिया के साथ काम करने में सहयोग करना चाहिए, ना कि अडंगा डालना चाहिए।
पीएचईडी मंत्री रामप्रीत पासवान ने भी कहा कि बिहार में असफरशाही हावी
नीरज बबलू से पहले सहनी प्रकरण के दौरान भाजपा से ही आने वाले दूसरे मंत्री रामप्रीत पासवान ने भी सरकार में अफसरशाही हावी होने की बात सही बताई थी। रामप्रीत पासवान पीएचईडी मंत्री हैं। मदन सहनी ने शुक्रवार को अपने विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद की मनमानी के खिलाफ इस्तीफे का ऐलान किया था। तब से अब तक बिहार सरकार के दो मंत्री और कई विधायक मदन सहनी के पक्ष में उतर चुके हैं।
हालांकि नीतीश कुमार के लिए ये राहत की बात है कि सहनी के समर्थन में उतरे दोनों ही मंत्री भाजपा से हैं। जदयू के किसी भी मंत्री की तरफ से मदन सहनी प्रकरण में अबतक कोई बयान सामने नहीं आया है।
बगावतियों का बढ़ता कुनबा, मुख्यमंत्री पर मानसिक दबाब बढ़ाने की है कोशिश
मदन सहनी के इस्तीफे के ऐलान के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से उन्हें मनाने की कोई कोशिश नहीं हुई है। यहां तक कि सहनी को मुख्यमंत्री ने मिलने का भी समय नहीं दिया , जिसके बाद वो शनिवार की देर शाम दिल्ली चले गए हैं। मुख्यमंत्री का सहनी को तवज्जो ना देना भी एक खास रणनीति का हिस्सा है।
नीतीश सरकार में अफसरशाही का मामला नया नही
नीतीश सरकार में अफसरशाही का मामला नया नही है। मुख्यमंत्री अपने अफसरों, खासतौर से IAS अफसरों पर मंत्रियों से कहीं ज्यादा भरोसा करते हैं। इस बात की नाराजगी नीतीश कुमार के सभी कार्यकाल में मंत्रियों के अंदर रही है। समय-समय पर बारी-बारी से मंत्री इस मसले पर बोलते भी रहे हैं, लेकिन ये पहला मौका है जब जदयू से आनेवाले किसी मंत्री ने पद पर रहते हुए अफसरशाही के खिलाफ बगावती तेवर दिखाया है। ऐसे में नीतीश कुमार अगर सहनी के बगावत को ज्यादा तवज्जो देते हैं तो आनेवाले दिनों में और मंत्री भी बगावत कर सकते हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री सबकुछ जानते हुए भी इस प्रकरण को इग्नोर कर रहे हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री को ये अच्छी तरह से पता है, इस बार विधायकों और मंत्रियों की नाराजगी उनपर भारी पड़ सकती है। वजह ये कि संख्याबल के लिहाज से जदयू पहले से ही सरकार में कमजोर हैं। ऐसे में अगर सहनी प्रकरण ज्यादा जोर पकड़ता है तो सरकार के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। मदन सहनी नीतीश कुमार पर इसी मानसिक दबाब को बढ़ाने के लिए दिल्ली गए हैं, क्योंकि दिल्ली में लालू प्रसाद यादव हैं।
सहनी के दिल्ली जाते ही ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि वो यहां लालू प्रसाद यादव से मिल सकते हैं। हालांकि सहनी की तरफ से इस बात की पुष्टि नहीं की जा रही है। वो लगातार नीतीश कुमार को अपना नेता कह रहे हैं।