न्यूज़ टुडे टीम ब्रेकिंग अपडेट : मोतिहारी-बिहार/ धनबाद- झारखंड :
लड़की ने बताया कि तीन साल पहले वह अपने घर से कुछ सहेलियों के साथ धनबाद स्टेशन गई थी। वहां काम होने के बाद घर लौट पड़ी। उसकी सहेलियां अपने-अपने घर चली गईं। तभी एक महिला आई और उसे रुमाल सुंघा दिया। वह बेहोश हो गई।
बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक समय लाैंडा नाच खूब प्रचलन में था। शादी-विवाह के माैके पर मनोरंजन के लिए लाैंडा नाच ही सबसे बड़ा और प्रसिद्ध साधन था। वीसीआर के आगमन के साथ शादी-विवाह के माैके पर छोटे पर्दे के माध्यम से फिल्मी नाच-गाने से मनोरंजन शुरू हुआ। और अब गांव-गांव में आर्केस्ट्रा मनोरंजन का साधन बन गया है। शादी के सीजन में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर आर्केस्ट्रा के नाम पर फूहड़ नाच करतीं युवतियां दिखती हैं। लोग खूब लोट-पोट होते हैं। लेकिन नाचने वाली युवतियों की असल जिंदगी की कहानी बहुत ही काली है। ज्यादातर लड़कियां मजबूरन नाचती हैं। धनबाद के सिंदरी की एक युवती को बिहार के मोतिहारी के जीतेंद्र आर्केस्ट्रा डांस ग्रुप से पुलिस ने मुक्त कराई है। युवती ने जो कछ बयां किया वह हैरान-परेशान करने वाली है।
पिता से लिपटकर बोली-किसी तरह बस जिंदा हूं
वह फूट फूटकर रो रही थी। पिता के कलेजे से लिपट उसे मानो सारे जहां की शांति मिल गई थी। आधा घंटे तक तो बोल ही नहीं सकी। करीब तीन साल का वक्त नरक से कम नहीं था। पिता को याद करती, घर जाने की बात करती तो बेरहमी से पिटाई की जाती। उसके साथ गलत काम किया जाता। रविवार को उसे जब इस कैद से मुक्ति मिली तो आंसुओं ने दर्द भरा हर लम्हा बयान कर दिया। जी हां, यह कहानी सिंदरी की उस बेटी की है जिसे 1.20 लाख रुपये में बिहार के मोतिहारी के पिपरा कोठी इलाके के जीतेंद्र सम्राट ने एक महिला मानव तस्कर से खरीदा था। जीतेंद्र का आर्केस्ट्रा डांस ग्रुप (लौंडा डांस) चलता है जो स्टेज पर ऐसी ही मजलूम लड़कियों से डांस कराकर लाखों कमाता है। हालांकि वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। हाल ही में उसके यहां से बंगाल की दो नाबालिग लड़कियों को बरामद किया गया था। तब से वह फरार है।
17 साल की उम्र में किया गया था अगवा
लड़की की रिहाई में अहम भूमिका निभाने वाले मिशन मुक्ति फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जब यह लड़की करीब 17 साल की थी तो उसे अगवा किया गया था। वहीं लड़की ने बताया कि तीन साल पहले वह अपने घर से कुछ सहेलियों के साथ धनबाद स्टेशन गई थी। वहां काम होने के बाद घर लौट पड़ी। उसकी सहेलियां अपने-अपने घर चली गईं। तभी एक महिला आई और उसे रुमाल सुंघा दिया। वह बेहोश हो गई। आंख खुली तो वह बस में थी। उसे फिर रुमाल सुंघा दिया गया। उसके बाद जब होश में आई तो जीतेंद्र सम्राट के घर में थी। उसका कहना था कि 1.20 लाख रुपये में उसे खरीदा है। अब यहां जीवन भर डांस करो, हमें पैसा कमाकर दो, यही तुम्हारी जिंदगी है। वह रो पड़ी, मगर जीतेंद्र व उसके गुर्गों ने जमकर पिटाई की। गालियां दीं। जीतेंद्र ने गलत काम भी किया। अंतत: उसने हालात से समझौता कर लिया। रात तीन बजे तक उसे नचाया जाता था। तीन साल का यह वक्त उसकी जिंदगी में अंधेरा लेकर आया था।
अनजान फरिश्ते ने की मदद
बेतिया का राजीव शर्मा। इसी शख्स की कोशिशों ने उसे नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाई। राजीव से वह एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान मिली, तो अपना दर्द बताया। राजीव ने उसका फोन नंबर लिया। इसके बाद उसने हैवनियत की सूचना मिशन मुक्ति फाउंडेशन के वीरेंद्र को दी। वीरेंद्र ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सूचित किया। आयोग के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने तत्काल मोतिहारी के एसपी नवीन चंद्र झा को लड़की की रिहाई के लिए लिखा। एएसपी शैशव यादव के नेतृत्व में पुलिस टीम बनी और सम्राट के घर पर शनिवार को छापेमारी की गई, मगर लड़की नहीं मिली। छापेमारी की भनक पाकर उसे सम्राट के रिश्तेदार के यहां छिपा दिया गया था। तब पुलिस ने सम्राट के भाई को उठाया। कड़ाई की तो राह निकल आई और लड़की को छुड़ा लिया गया।
मोतिहारी पुलिस की रही सराहनीय भूमिका
वीरेंद्र ने लड़की से बात की। उसने बताया कि वह 17 वर्ष की है, सिंदरी के एक गांव की रहने वाली है। पिता और परिवार के बारे में भी जानकारी दी। यह भी बताया कि उसके पास फोन है, मगर पिता का नंबर याद नहीं था। इसलिए उनसे संपर्क नहीं कर पाई। मोतिहारी पुलिस ने धनबाद पुलिस से संपर्क कर लड़की के पिता की तलाश कराई। उनको व उसके भाई को मोतिहारी बुलाया ताकि पहचान हो सके। जब लड़की पिता और भाई के सामने आई तो लिपट गई। आखिर उसे कैद से जो मुक्ति मिल गई थी।