न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
कोरोना काल में देश आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7वीं बार लालकिले पर झंडा फहराया। उन्होंने कहा, ‘हम ये भी जानते हैं कि वो कालखंड था कि विस्तारवाद की सोच वालों ने जहां भी फैल सके, वहां फैलने का प्रयास किया, अपने झंडे गाड़ने की कोशिश की, लेकिन भारत की आजादी का आंदोलन दुनिया के अंदर भी प्रेरणा का पुंज बन गया, दिव्य स्पंद बन गया और दुनिया में भी आजादी की ललक जली।’
उन्होंने कहा, ‘जो विस्तारवाद की अंधी दौड़ में लगे थे, उन्होंने अपने विस्तारवाद के मंसूबों को पूरा करने के लिए दुनिया को दो-दो विश्व युद्ध में झोंक दिया। दुनिया को तबाह कर दिया।’ उन्होंने कहा कि भारत विस्तारवाद के लिए चुनौती बना है। अब कोरोना के बीच 130 करोड़ लोगों ने आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया है। हम यह करके रहेंगे।’
15 अगस्त आजादी के वीरों, रणबांकुरों को नमन करने का पर्व है
उन्होंने कहा कि आजादी के इस पावन पर्व की सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। आज जो हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे मां भारती के लाखों बेटे-बेटियों का त्याग-बलिदान और समर्पण है। आज आजादी के वीरों, रणबांकुरों का नमन करने का पर्व है। हमारी सेना-अर्धसैनिक बलों के जवान, पुलिस के जवान, सुरक्षाबलों से जुड़े हर कोई, मां भारती की रक्षा में जुटे रहते हैं। आज उनकी सेवा को भी नमन करने का पर्व है। अरविंद घोष की आज जयंती है। क्रांतिकारी से आध्यात्मिक ऋषि बने। आज उन्हें भी याद करने का दिन है। कोरोना के चलते आज बच्चे नजर नहीं आ रहे। कोरोना के संकट में मैं कोरोना वॉरियर्स को नमन करता हूं।
मोदी के भाषण की अहम बातें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियो! आजादी के वीरों को याद कर नई ऊर्जा का यह संकल्प होता है। एक प्रकार से हमारे लिए यह नई प्रेरणा लेकर आता है। नई उमंग, नया उत्साह लेकर आता है। हमारे लिए नया संकल्प लेना जरूरी भी है। अगले साल हम 75वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। यह अपने आप में बहुत बड़ा अवसर है। इसलिए आज आने वाले दो साल के लिए बहुत बड़े संकल्प लेकर हमें चलना है। आजादी के 75 साल में जब हम प्रवेश करेंगे और 75 साल जब पूरे होंगे, तब हम हमारे संकल्पों की पूर्ति के महापर्व के रूप में मनाएंगे।’
‘हमारे पूर्वजों ने अखंड एकनिष्ठ तपस्या करके हमें जिस प्रकार से आजादी दिलाई, उन्होंने न्योछावर कर दिया खुद को। हम ये न भूलें कि गुलामी के इतने कालखंड में कोई भी पल या क्षेत्र ऐसा नहीं था, जब आजादी की ललक न उठी हो। आजादी की इच्छा को लेकर किसी न किसी ने प्रयास न किया हो या त्याग न किया हो। जवानी जेलों में खपा दी। फांसी के फंदों को चूमकर जीवन आहूत कर दिया। एकतरफ सशस्त्र क्रांति का दौर, एकतरफ जनआंदाेलन का दौर। बापू ने आजादी के आंदोलन को एक ऊर्जा दी। इस आजादी की जंग में भारत की आत्मा को कुचलने के भी निरंतर प्रयास हुए।’
‘भारत को अपनी संस्कृति, परंपरा, रीत-रिवाज से उखाड़ फेंकने के लिए क्या कुछ नहीं हुआ। वह सैकड़ों कालों का कालखंड था। साम-दाम-दंड-भेद, सब कुछ अपने चरम पर था। कुछ लोग ये मानकर चलते थे कि यहां पर राज करने के लिए आए हैं। लेकिन आजादी की ललक ने उनके सारे मंसूबों को जमींदोज कर दिया। उनकी सोच थी कि इतना बड़ा विशाल देश, अनेक राजे-रजवाड़े, भांति-भांति की बोलियां, खानपान, अनेक भाषाएं, इतनी विविधताओं के कारण बिखरा देश कभी एक होकर आजादी की लड़ाई नहीं लड़ सकता। लेकिन वे यहां की प्राणशक्ति नहीं पहचान पाए।’
‘ऐसे कालखंड के बीच भी देश ने अपनी आजादी की ललक को नहीं छोड़ा। कष्ट झेलता रहा। भारत की इसी लड़ाई ने दुनिया में आजादी के लिए एक माहौल बना दिया। भारत की एक शक्ति ने दुनिया में बदलाव लाया। विस्तारवाद के लिए चुनौती बन गया भारत। इतिहास इस बात को नहीं नकार सकता। आजादी की लड़ाई में पूरे विश्व में भारत ने अपनी एकजुटता की ताकत, अपनी सामूहिकता की ताकत, अपने उज्ज्वल भविष्य के प्रति अपना ऊर्जा, संकल्प और प्रेरणा लेकर देश आगे बढ़ता चला गया।’
‘कोरोना के बीच 130 करोड़ भारतवासियों ने संकल्प किया आत्मनिर्भर बनने का। आत्मनिर्भर भारत आज हर भारतवासी के मन-मस्तिष्क में छाया हुआ है। इस सपने को संकल्प में बदलते देख रहे हैं। ये आज 130 करोड़ देशवासियों के लिए मंत्र बन गया है। जब मैं आत्मनिर्भर की बात करता हूं, तो कई लोगों ने सुना होगा कि अब 21 साल के हो गए हो, अब पैरों पर खड़े हो जाओ। 20-21 साल में परिवार अपने बच्चों से पैरों पर खड़े होने की अपेक्षा करता है। आज आजादी के इतने साल बाद भारत के लिए भी आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। जो परिवार के लिए जरूरी है, वो देश के लिए भी जरूरी है। भारत इस सपने को चरितार्थ करके रहेगा। मुझे इस देश के सामर्थ्य, प्रतिभा पर गर्व है।’
‘कोरोना के संकट में हमने देखा कि दुनिया में कठिनाई हो रही है। दुनिया चीजें नहीं दे पा रहीं। इस देश में एन-95 मास्क नहीं बनता था, पीपीई किट नहीं बनती थीं, वेंटिलेटर नहीं बनते थे, अब बनने लगे। आत्मनिर्भर भारत दुनिया की कैसे मदद कर सकता है, यह आज हम देख सकते हैं। …बहुत हो चुका। आजाद भारत की मानसिकता क्या होनी चाहिए। वोकल फॉर लोकल। स्थानीय उत्पादों का गौरव गान करना चाहिए। ऐसा नहीं करेंगे तो उसकी हिम्मत नहीं बढ़ेगी। हम मिलकर संकल्प लें कि 75 साल की तरफ जब हम बढ़ रहे हैं तो वोकल फॉर लोकल का मंत्र अपनाएं।’
‘हमारा देश कैसे-कैसे कमाल करता है और आगे बढ़ता है, इस बात को हम समझ सकते हैं। कौन सोच सकता था कि कभी गरीबों के जनधन खातों में लाखों-करोड़ों रुपए सीधे ट्रांसफर हो जाएंगे। कौन सोच सकता था कि किसानों की भलाई के लिए कानून में बदलाव हो सकते हैं। कौन सोचता था कि हमारा स्पेस सेक्टर हमारे देश के युवाओं के लिए खोल दिया जाएगा। आज हम देख रहे हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो, वन नेशन वन कार्ड की बात हो, वन नेशन वन ग्रिड की बात हो, वन नेशन वन टैक्स की बात हो, बैंकरप्सी कोड की बात हो या बैंकों को मर्ज करने का प्रयास हो, भारत के परिवर्तन के इस कालखंड में रिफॉर्म के पैमानों को दुनिया देख रही है।’
‘बीते वर्ष भारत में एफडीआई ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। बीते वर्ष भारत में एफडीआई 18% बढ़ा। इसलिए कोरोनाकाल में भी दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत की ओर रुख ले रही हैं। ये विश्वास ऐसे ही पैदा नहीं हुआ। ऐसे ही दुनिया मोहित नहीं हुई। इसके लिए भारत ने अपनी नीतियों और अपने लोकतंत्र की मजबूती पर काम किए हैं, उसने यह विश्वास जगाया है।’
‘दुनिया के अनेक बिजनेस भारत को दुनिया के सप्लाई चेन को देख रहे हैं। हमें मेक इन इंडिया के साथ-साथ मेक फॉर वर्ल्ड को लेकर आगे बढ़ना है। कोरोना के इस कालखंड में एकतरफ पूरब और पश्चिम में चक्रवात आया। बिजली गिरने से कई लोगों से मौत की खबरें आईं। कहीं बाढ़ आई। भूकंप के झटके आते रहे। किसानों के लिए टिड्डी दल की विपत्ति आई। उसके बावजूद देश ने अपना विश्वास जरा भी नहीं खोया।’
‘देश आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता गया। देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना के प्रभाव से जल्द से जल्द बाहर निकालना हमारी प्राथमिकता है। इसमें अहम भूमिका रहेगी नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की। इस पर 110 लाख करोड़ से भी ज्यादा खर्च किए जाएंगे। अलग-अलग सेक्टर में 7 हजार प्रोजेक्ट्स की पहचान कर ली गई है। इससे देश के ओवरऑल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को नई दिशा और गति मिलेगी। ऐसे संकट की घड़ी में इन्फ्रास्ट्रक्चर को जितना बल दिया जाए, उतना फायदा है।’