न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
गर्दनीबाग थाने की पुलिस ने मोबाइल लुटेरों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके अधिकांश सदस्य स्नातक (बीएससी) हैं। गिरोह के तीन सदस्यों को दबोचने के साथ पुलिस ने दो दुकानदारों को भी गिरफ्तार किया है, जो लूटे गए मोबाइल का पासवर्ड तोड़ने का काम करते थे।
हैरानी की बात यह है कि ये छात्र लूटे गए मोबाइल में डाउनलोड यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) एप जैसे पे-टीएम, गूगल-पे, पे-फोन आदि के माध्यम से शिकार हुए व्यक्ति के बैंक अकाउंट को भी खाली कर देते थे। इन बदमाशों ने 250 युवाओं का एक वाट्सएप ग्रुप बना रखा था। ग्रुप के सदस्यों के खाते में रकम डालने के बाद उनसे कैश लेते और बदले में कमीशन भी देते थे। इसके बाद मोबाइल का आइएमईआइ (इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूप्मेंट आइडेंटिटी) नंबर बदलकर सेकेंड हैंड की कीमत पर बेचते थे।
लूटे गए मोबाइल को रखा गया था सर्विलांस पर
सचिवालय डीएसपी राजेश कुमार प्रभाकर ने बताया कि मोबाइल लुटेरों के गिरोह को पकड़ने की जिम्मेदारी गर्दनीबाग थानाध्यक्ष कुमार अरविंद गौतम और प्रशिक्षु डीएसपी विवेक कुमार को सौंपी गई थी। कुछ लूटे गए मोबाइल नंबर सर्विलांस पर रखे गए थे। तकनीकी जांच कर गर्दनीबाग इलाके से सुमन कुमार को पकड़ा गया। उसकी निशानदेही पर जक्कनपुर के डीवीसी चौक निवासी राघव कुमार और कोलकाता निवासी प्रवीण कुमार गिरफ्त में आए। प्रवीण, राघव के बगल में ही रहता है। वह भी बीएससी पास है। साथ ही स्कूल का टॉपर रहा है। लूटे गए मोबाइल में डाउनलोड एप से रुपये गायब करने का तरीका उसी ने साथियों को बताया था। गिरोह का सरगना व राजपूताना निवासी विशाल प्रताप और अमन सहनी फरार होने में कामयाब रहे।
हर तरह के मोबाइल का लॉक तोडऩे में माहिर है अशोक
प्रवीण के बयान पर डीवीसी चौक स्थित साक्षी टेलीकॉम नामक दुकान के मालिक सुनील कुमार को गिरफ्तार किया गया। वह चोरी के मोबाइल की खरीद-बिक्री में शामिल था। वह प्रवीण से मोबाइल लेकर बाकरगंज निवासी अशोक उर्फ सुबोध से लॉक तुड़वाने का काम करता था। अशोक मोबाइल की किट और आइएमईआइ नंबर दोनों बदल देता था, फिर सुनील उसे सेकेंड हैंड कीमत पर बेचता था। आरोपितों के पास से 24 मोबाइल सेट और 16 हजार 600 रुपये बरामद हुए।
गर्लफ्रेंड के लिए की ऑनलाइन खरीदारी
प्रवीण ने पूछताछ में बताया कि गिरोह ने अब तक हवाई अड्डा, गर्दनीबाग और एसके पुरी थाना क्षेत्रों में मोबाइल लूट की वारदातें की हैं। उन्होंने जिनका मोबाइल लूटा, उनके बैंक अकाउंट से गर्लफ्रेंड के लिए जमकर ऑनलाइन खरीदारी भी की। कई बार वाट्सएप ग्रुप के सदस्यों के मोबाइल नंबर पर रुपये ट्रांसफर किए। उन रुपयों से उन्होंने मौज-मस्ती की। पटना में रहकर प्रवीण कोलकाता में माता-पिता को हर महीने 25-30 हजार रुपये भी भेजता था।