न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
भोजपुरी और हिंदी के मूर्धन्य कवि और उपन्यासकार अश्विनी कुमार आँसू का आज 76 वर्ष की उम्र में देहावसान हो गया। आपका जन्म सुगौली अंतर्गत ग्राम-पो० सुगाँव में 01 जनवरी 1944 को हुआ था। हिंदी भाषा-साहित्य से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।इसके अतिरिक्त संगीत,समाज शिक्षा, पुस्तकालय विज्ञान,राज्य स्तरीय लेखा एवं पंचायती राज अधिनियम परीक्षोतीर्ण रहे।समाज शिक्षा अनुदेशक,लेखापाल सह प्रधान सहायक के पद से सेवानिवृत्त होकर गांव पर ही रह रहे थे।
निलही कोठी, निरालय,दोहावली, मुक्तक मधु, ऐसे होगा भारत महान (नवजागरण गीत), प्रगति के पच्चीस द्वार, मोतियों की माला(हिंदी गीत संग्रह), संजीवनी(हिंदी गजल संग्रह), आराधना(भोजपुरी गजल संग्रह), चंदन, रामा(हिंदी उपन्यास), राष्ट्रपिता (हिंदी महाकाव्य,जो लेखन के क्रम में था) और धरोहर(भोजपुरी गीत एवं कविता संग्रह) उनकी रचनात्मक कृतियाँ हैं।उन्होंने कई कालजयी गीतों की रचना की। उनका गीत ‘ टोअलो में टिसेला छिँउकिया के साटी राम ‘ बड़ा प्रसिद्ध था। इस एक गीत पर प्रसिद्ध आलोचक महेश्वराचार्य ने चौदह पृष्ठों में अपना उद्गार व्यक्त किया था।
हाल ही में पंडित अश्विनी कुमार आंसू युवराज मीडिया एण्ड एंटरटेनमेंट की बहुप्रतीक्षित फीचर फिल्म एवं वेब सीरीज ” चम्पारण सत्याग्रह ” में गीत लिखे थे। फ़िल्म के निर्देशक वरीय पत्रकार एवं फ़िल्मकार डा. राजेश अस्थाना ने कहा कि वे निःशब्द हैं। उन्होंने पंडित आंसू के निधन को व्यक्तिगत अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि वे मेरे पिताजी के मित्र थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और स्वर्ग में स्थान दें तथा उनके परिजनों, शुभचिन्तकों को इस अपार दुख को झेलने की शक्ति दें। उनका निधन चम्पारण के साहित्य जगत के साथ साथ मेरी व्यक्तिगत अपूरणीय क्षति है ।
अश्विनी कुमार आँसू के निधन पर पूरा साहित्यिक,सामाजिक और सांस्कृतिक समाज आहत है। उनके निधन पर वरीय गांधीवादी, पूर्व मंत्री व गांधी संग्रहालय के सचिव ब्रज किशोर सिंह, प्रो० राम निरंजन पाण्डेय, प्रो० शोभा कान्त चौधरी, प्रो० रवीन्द्र कुमार रवि, प्रो० मंजरी वर्मा, फारुक राहिब, डॉ०अख्तर सिद्दीक़, तफजील अहमद , डा.राजेश अस्थाना, प्रो० अरूण मिश्रा, प्रसाद रत्नेश्वर, अभय अनन्त, गुलरेज शहजाद, संजय पाण्डेय, अनिल वर्मा, धनुषधारी कुशवाहा, डॉ०मधुबाला सिन्हा, डॉ०सबा अख्तर, मिथिलेश घायल, संजय उपाध्याय, अंजनी अशेष ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए इसे एक अपूर्णीय क्षति बताया। कहा कि उनके निधन से चम्पारण की काव्य रचना के एक युग के अंत हो गया।