
न्यूज़ टुडे कला अपडेट :
रिंकू गिरी, संवाददाता, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
बिहार के मोतिहारी के स्थानीय राजेंद्र नगर भवन में पंडित छोटेलाल मिश्र संगीत कला महाविद्यालय के तत्वावधान में भव्य संगीत समारोह का आयोजन संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का विधिवत श्रीगणेश संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.(डॉ.) रवींद्र कुमार वर्मा”रवि”, ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, सिकटिया की राजयोगिनी बी.के.मीना दीदी, वरिष्ठ लोकगायिका श्रीमती चमेली पाण्डेय, प्रो. शोभाकांत चौधरी, प्रकाश अस्थाना और डिप्टी मेयर डॉ. लालबाबू प्रसाद ने किया।इसके पश्चात संगीत के क्षेत्र में अमूल्य सांगीतिक अवदान के लिए इस वर्ष का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड पटना मगध महिला महाविद्यालय के संगीत प्रोफेसर डॉ.अरविंद कुमार को प्रदान किया गया।
इसके बाद गीत संगीत और नृत्य का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देर रात तक चलता रहा और श्रोता सुर ताल के सागर में गोते लगाते रहे।कार्यक्रम का आगाज़ पंडित छोटेलाल मिश्र संगीत कला महाविद्यालय के छात्र छात्राओं के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ जिसे श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली।इसके पश्चात सितार के युगलबंदी का कार्यक्रम हुआ जिसमें संजय कुमार शर्मा और सुशील कुमार ने राग श्याम कल्याण में बंदिश और झाला प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। तबले पर इनके साथ कुशल संगति प्रदान की गया घराने के पंडित रविशंकर पाठक ने।कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति एकल तबला वादन की रही। बनारस घराने के ललित कुमार ने उठान, पराल,कायदा,बनारस की प्रसिद्ध बाँट, रेला, चक्रदार परण और ना धिन धिन्ना के कुशल प्रदर्शन द्वारा बनारस घराने की खूबियों से लोगों को परिचित करवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।हारमोनियम पर संगति प्रदान की बनारस के ही डॉ.इंद्रदेव चौधरी ने।
कार्यक्रम की चौथी प्रस्तुति थी कोलकाता से पधारी प्रख्यात ठुमरी गायिका विदुषी इंद्राणी चौधरी का गायन। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत बंदिश की ठुमरी से से की। राग तिलक कामोद में प्रस्तुत इसके बोल थे,”रोको न डगर मेरो श्याम”। इसके बाद उन्होंने दादरा की प्रस्तुति दी जिसके बोल थे “अब ना बजाओ श्याम बांसुरी” और “श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी।” उन्होंने मौसम के अनुकूल होली की प्रस्तुति देते हुए “बरजोरी ना करो मोसे श्याम होरी में” गाकर पूरे प्रशाल को होली के रंग में रंग दिया। “रंग डारुंगी नंद के लालन पे” गाकर उन्होंने श्रोताओं से भरपूर तालियां बटोरी। “हम गौने नहीं जइबे “को होली के रंग में प्रस्तुत कर उन्होंने अपनी कला का लोहा मनवा दिया। मधुर और सुंदर आवाज़, तान, मुरकी, ग़मक, मीड़ और खटका के सुंदर प्रयोगों के द्वारा उन्होंने अपनी गुरु विदुषी पूर्णिमा चौधरी की विरासत पर अपने अधिकार का बखूबी प्रदर्शन किया। इनके साथ तबले पर कुशल संगति प्रदान की बनारस के ललित कुमार ने और हारमोनियम पर डॉ. इंद्रदेव चौधरी ने।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति थी युगल कथक नृत्य की जिसे अंजाम दिया बनारस के सुप्रसिद्ध कथक गुरु पंडित रविशंकर मिश्रा और डॉ.ममता टंडन ने। इनके साथ तबले पर पंडित भोलानाथ मिश्र और रामकुमार मिश्र, सारंगी पर अंकित मिश्रा और हारमोनियम तथा गायन पर कुशल संगति की शक्ति मिश्रा ने। गणेश वंदना से अपने नृत्य की शुरुआत करते हुए इस नर्तक जोड़ी ने उठान, आमद, तोड़ा, टुकड़ा, चक्करदार, गत, परण तथा तबले और घुंघरू के बोलों की युगलबंदी प्रस्तुत कर दर्शकों को अचंभित कर दिया।
इसके बाद होली की नृत्यात्मक प्रस्तुति की गई जिसके बोल थे”कन्हैया घर चलो ग़ुइयां आज खेलें होली” को कहरवा ताल में प्रस्तुत कर होलिकोत्सव को जीवंतता प्रदान की। इसी प्रस्तुति में शिव परण, पैरों से बारिश की आवाज़, शेर, घोड़ा तथा हिरण की चाल को नृत्यात्मक अंदाज में बखूबी प्रस्तुत कर श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी। अंत में “आनंद तांडव”की प्रस्तुति के द्वारा उन्होंने अपनी प्रस्तुति को आकाशीय भव्यता प्रदान की जिसके बोल थे, डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे,प्रेम मगन नाचे भोला।” कुल मिलाकर कार्यक्रम की भव्यता अदभुत रही जिसका रसास्वादन श्रोताओं ने किया।समस्त कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार ने किया।
मौके पर दर्शक दीर्घा में डॉ.अतुल कुमार,डॉ.अनिल कुमार सिन्हा, डॉ. हेना चंद्रा, अनिल कुमार वर्मा,अशोक कुमार वर्मा, संजय पांडेय, देवप्रिय मुखर्जी, रामचंद्र साह, अंजनी अशेष, अभय अनंत, दिवाकर नारायण पाठक आदि मौजूद रहे।