न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
दिल्ली में व्यापारी वर्ग के समक्ष जितनी अड़चनें है और उलझने है, संभवतः उतनी किसी अन्य के पास नहीं। कोई भी कारोबार छोटा हो या बड़ा मुनाफे से ज्यादा खर्च, पहले नजर आता है किंतु इस बात को समझने के लिए कोई भी तैयार नहीं। क्वालिटी के नाम पर सरकार तो मैनुफैक्चर्स और ट्रेडर्स दोनों को दुधारू गाय की तरह दुह रही है। भारत सरकार, दिल्ली सरकार एवं पुलिस प्रशासन द्वारा मिलने वाली प्रतारणा से निजात दिलाने एवं व्यापारियों की अन्य समस्याओं के निराकरण हेतु सरकार व अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय समझौता को अंजाम देने वाला कोई नहीं है, इसका मुख्य कारण यह है कि इतनी बड़ी आबादी (लाखों की संख्या में बसे व्यापारियों) का कोई ऐसा नेता नही है जो आत्मसम्मान के लिए एक कामयाब लड़ाई लड़ने का कर्तव्य पूरा करे। उपरोक्त बातें दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (पंजीकृत) के राष्ट्रीय महासचिव सुशील श्रीवास्तव ने कही।
श्री श्रीवास्तव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक सुझाव दिया है कि “री लोकेशन अॉफ इंडस्ट्रीज” जिसमें नरेला इंडस्ट्रियल एरिया, बवाना इंडस्ट्रियल एरिया, बादली एवं पटपड़गंज आदि इंडस्ट्रियल एरिया आता है इन सभी को, इस वक्त जहाँ सभी कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं सभी इंडस्ट्रियल एरिया को फ्री होल्ड कर देना चाहिए। इससे सिर्फ कनवर्जन चार्ज के रूप में दिल्ली सरकार के खजाने में तीन हजार करोड़ से चार हजार करोड़ रुपये तक आ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी रकम से सरकार को कोरोना से लड़ने में काफी सहयोग मिलेगा और व्यापारी भी जहाँ कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, वो अपनी फ्री होल्ड प्रौपर्टी पर लोन ले सकते है व अपना व्यापार को बेहतर रुप से चला सकते है ! दिल्ली सरकार को इस विषय में गम्भीरता से सोचना चाहिए।