न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
ई. युवराज, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★रोचक बात यह है कि राज्य के तमाम सहकारी बैंकों में सहकारिता और सियासत में दखल रखने वाले कुछ ही खास लोगों का कब्जा रहा है। आरबीआइ के नये प्रविधान में ऐसे लोगों के लिए सहकारी बैंकों में प्रभाव क्षीण हो जाएगा। मौजूदा वक्त में राज्य में 23 सहकारी बैंक हैं, जिनमें से 22 बैंकों में बोर्ड एक्टिव है। वहीं, सुपौल जिला केंद्रीय सहकारी बैंक का बोर्ड सुपरसीड है। 17 जनवरी से जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में वहां के जिलाधिकारी प्रशासन होंगे तो वहीं, बिहार राज्य सहकारी बैंक के प्रशासक सहकारिता विभाग के निबंधक या कोई वरिष्ठ आइएएस होंगे।★
बिहार राज्य सहकारी बैंक और 22 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सभी बोर्ड भंग (सुपरशीड) होंगे। इन बैंकों में प्रशासक नियुक्त होंगे क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की नई गाइडलाइन के आलोक में इन बैंकों के बोर्ड का चुनाव संभव नहीं हो पा रहा है। बिहार राज्य सहकारी बैंक ने चुनाव संबंधी शर्तों में ढील देने की मांग आरबीआइ से की थी, जिससे आरबीआइ ने साफ इंकार कर दिया।
इन बैंकों के बोर्डों का कार्यकाल 16 जनवरी तक ही शेष है, जबकि इन बैंकों के बोर्ड की लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव प्रक्रिया दिसंबर में ही आरंभ होना थी। बिहार राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक अखिलेश कुमार के मुताबिक, आरबीआइ की नई गाइडलाइन पर किसी भी सहकारी बैंक के बोर्ड का चुनाव संभव नहीं है।
नए बोर्ड में 51 प्रतिशत प्रोफेशनल लोगों की भागीदारी अनिवार्य
आरबीआइ की गाइडलाइन पर नाबार्ड ने दो माह पहले सहकारी बैंकों में चुनाव कराने का आदेश जारी किया हुआ है। इसमें कहा गया है कि सहकारी बैंकों के बोर्डों को भंग करने के बाद केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के नए नियमों के तहत नए बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा। आरबीआइ के नए नियम के तहत बैंकिंग सेक्टर में कम से कम आठ साल का कार्य अनुभव रखने वाले व्यक्ति को प्रत्येक सहकारी बैंक में मुख्य कार्य पदाधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त करना जरूरी है। नए बोर्ड में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रोफेशनल व्यक्तियों की होगी, जिनके पास एमबीए, एग्रीकल्चर और वित्तीय प्रबंधन की डिग्री होगी।
नये बोर्ड में पुराने अध्यक्षों को नहीं मिलेगा मौका
बिहार के सहकारी बैंकों में 95 प्रतिशत अध्यक्षों के दो टर्म कार्यकाल हो चुका है। आरबीआइ की गाइडलाइन के तहत जो नए नियम बनाए गए हैं, उसके तहत यदि सहकारी बैंकों के बोर्डों के चुनाव हुए तो नए बोर्ड में पुराने अध्यक्षों को जगह नहीं मिलेगी। अभी तक अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल है, लेकिन नये नियम में अध्यक्ष के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर चार साल कर दिया गया है। ऐसे में दो टर्म अध्यक्ष रहने वाले भी आठ साल ही रह पाएंगे। इसके अलावा जिनका टर्म पूरा नहीं भी हुआ है, वे भी नए मानदंड में फिट नहीं हैं। लिहाजा अगर चुनाव हुआ तो सहकारी बैंकों का नया स्वरूप दिखेगा।
रोचक बात यह है कि राज्य के तमाम सहकारी बैंकों में सहकारिता और सियासत में दखल रखने वाले कुछ ही खास लोगों का कब्जा रहा है। आरबीआइ के नये प्रविधान में ऐसे लोगों के लिए सहकारी बैंकों में प्रभाव क्षीण हो जाएगा। मौजूदा वक्त में राज्य में 23 सहकारी बैंक हैं, जिनमें से 22 बैंकों में बोर्ड एक्टिव है। वहीं, सुपौल जिला केंद्रीय सहकारी बैंक का बोर्ड सुपरसीड है। 17 जनवरी से जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में वहां के जिलाधिकारी प्रशासन होंगे तो वहीं, बिहार राज्य सहकारी बैंक के प्रशासक सहकारिता विभाग के निबंधक या कोई वरिष्ठ आइएएस होंगे।
पुरानी व्यवस्था में चुनाव से निदेशक मंडल का चयन
राज्य में सहकारी बैंकों की पुरसाहाल के लिए कुछ हद तक बोर्ड में शामिल वैसे लोग भी हैं जो उस वर्षों से कब्जा जमाए हैं। बैंक के बोर्ड के निदेशक मंडल का चयन कुछ ही लोग वोटर बनकर करते हैं, यह बड़ी विसंगति है। प्रारंभिक स्तर पर सहकारी संस्थाओं के लिए चुने गए व्यक्ति ही निदेशक मंडल का चुनाव लड़ते हैं और हिस्सा लेते हैं। सहकारी के सबसे नीचे का पायदान पैक्स का चुनाव शायद ही कोई प्रोफेशनल व्यक्ति लड़ता है।
इन बैंकों में जिलाधिकारी होंगे प्रशासक
नालंदा जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, पाटलिपुत्र केंद्रीय सहकारी बैंक, मगध केंद्रीय सहकारी बैंक, नवादा जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, आरा केंद्रीय सहकारी बैंक, सासाराम जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, भागलपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, मुंगेर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, बेगूसराय जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, पूर्णिया जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, मुजफ्फरपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, सीतामढ़ी जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, बेतिया जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, सिवान जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, गोपालगंज जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, औरंगाबाद जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, खगड़िया जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, कटिहार जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, वैशाली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, समस्तीपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, रैहिका (मधुबनी) जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, मोतिहारी जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और सुपौल जिला केंद्रीय सहकारी बैंक।