न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
जैसा कि आपको 10 अगस्त को ही बता दिया था कि इस स्वतंत्रता दिवस पर मोदी डिजिटल हेल्थ मिशन की भी शुरुआत करने जा रहे है ठीक वही हुआ, हालांकि यह खबर पब्लिक डोमेन में थी कि ऐसा कुछ होने जा रहा है है, लेकिन मीडिया चुप थी, मीडिया की चुप्पी यह बता रही थी कि जब तक प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले से नही बोलेंगे तब तक उसे कुछ भी डिस्क्लोज करने से मना कर दिया गया है और आज आप देखिएगा दिन भर मीडिया इसी पर बकवास करता रहेगा कि डिजिटल हेल्थ मिशन तो देशवासियों को बहुत बड़ा तोहफा है सबको हैल्थ कार्ड दिए जाएंगे, फलाना हो जाएगा ढिकाना हो जाएगा।
डिजिटल हेल्थ मिशन पीछे जो असली ताकत काम कर रही है वो है बिल गेट्स समर्थित की बिग फार्मा लॉबी ! आप यदि सोच रहे हैं कि यह लॉबी सिर्फ दवाइयां बेचकर ही संतुष्ट हो जाती है तो आप बिलकुल गलत समझ रहे हैं चिकित्सा के हर क्षेत्र में उनका दखल है ये जो देश के बड़े बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स आप देख रहे है इनमें जो बड़ी पूंजी लगाई जा रही है छोटे शहरों के प्राइवेट हस्पतालों का जो अपोलो मेदांता जैसे बड़े ग्रुप जो अधिग्रहण करते जा रहे हैं यह सब उसी बड़े खेल का हिस्सा है, देश के बीमा बाजार में जो विदेशी कम्पनियों का दखल बढ़ रहा है यह सब एक लंबी प्लानिंग के तहत किया गया है और आज उस इन्वेस्टमेंट के फलीभूत होने का वक्त आया है। टेलीमेडिसिन के नाम पर एक बड़ी लूट मचने वाली है। दरअसल डिजिटल हैल्थ मिशन भारत के अब तक बिखरे हुए हेल्थ सेक्टर के ऑर्गेनाइज होने का चरम बिन्दु है और हैल्थ सेक्टर को सबसे महत्वपूर्ण जो आपसे चाहिए वो आपका डेटा है जो आप स्वंय उसे देने जा रहे हो।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब भारत की वेबसाइट ‘पॉलिसी बाजार’ को भी अमेरिकी कम्पनिया खरीदना चाह रही है जल्द ही वह भी उनके कब्जे में होगी।
दरअसल इस डिजिटल हेल्थ मिशन की घोषणा तो आज हुई है इसकी नींव तो 18 नवम्बर 2019 को ही पड़ गयी थी जब बिल गेट्स की मीटिंग केंद्रीय मंत्री डॉ हर्ष वर्धन से हुई तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ औपचारिक MOU साइन किया था।
उसके अगले दिन 19 नवम्बर को नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार ने बिल गेट्स की मौजूदगी में हेल्थ सिस्टम फॉर न्यू इंडिया नाम की रिपोर्ट रिलीज की।
रिपोर्ट में हेल्थ सिस्टम के चार क्षेत्र चिह्नित किए गए
1) अधूरे सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंडे तक पहुंच,
2) नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर खरीदार बनाना,
3)जेब खर्च को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का एकीकरण
4) हेल्थकेयर का डिजिटाइजेशन।
‘हेल्थ सिस्टम फॉर न्यू इंडिया’ नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हर साल करीब एक बिलियन के लेनदेन की कल्पना कीजिए, जहां मरीज लाखों स्वास्थ्य सेवा देने वाले प्रोवाइडर से इलाज कराते हैं। इनमें ज्यादातर प्राइवेट प्रोवाइडर हैं, जो खुद अपनी कीमत तय करते हैं।’
यानी बिग फार्मा का उद्देश्य यह कि मध्य वर्ग से स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ओर ज्यादा लूट कैसे मचाई जाए छोटे स्तर पर इसकी पूरी तैयारी करो, बाकी सरकार से हम डेटा तो ले ही लेंगे।
बिल गेट्स की योजना यदि सिर्फ वेक्सीन निर्माण तक ही सीमित होती तो यकीन मानिए मैं उसकी तरफ बिल्कुल ध्यान नही देता लेकिन इनका प्लान तो बहुत आगे तक का है।