न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
भारत में कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर जारी है. संक्रमितों की संख्या 2 लाख पार कर गई है. इसके साथ ही यह दुनिया का सातवां देश हो गया है, जहां इतने अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. भारत से पहले अमेरिका, ब्राजील, रूस, स्पेन, ब्रिटेन और इटली ने 2 लाख केस का आंकड़ा पार किया है. देश में अब औसतन 8 हजार नए केस रोज रिकॉर्ड हो रहे हैं और 300 के करीब लोगों की जान जा रही है. इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा कि देश में कोरोना वायरस का पीक सीजन आने में अभी काफी वक्त है.
कोविड-19 के रोजाना औसतन 8 हजार केस आने से माना जा रहा था कि ये कोरोना का पीक सीजन है, लेकिन आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉ. निवेदिता गुप्ता की मानें तो भारत कोरोना के पीक सीजन से अभी बहुत दूर है. कोरोना को रोकने के लिए हमारी कोशिशें और सरकार द्वारा लिए गए फैसले काफी कारगर साबित हो रहे हैं. यही वजह है कि बाकी देशों की तुलना में हमारी स्थिति काफी बेहतर है. आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉ. निवेदिता गुप्ता आगे कहती हैं कि ऐसे समय में हमारी पूरी कोशिश कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने की होनी चाहिए.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी कहा कि भारत में जून या जुलाई में कोरोना वायस के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं. गुलेरिया ने कहा, ‘भारत में कोविड-19 के मामले चरम पर कब होंगे, इसका जवाब मॉडलिंग डेटा पर निर्भर करेगा. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं. उनमें से अधिकांश ने अनुमान लगाया है कि भारत में जून या जुलाई में मामलों की संख्या अपने चरम पर पहुंच सकती है.’
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई संक्रामक बीमारी चरम पर पहुंचती है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता है कि इसका प्रकोप खत्म हो गया है. आमतौर पर इसका मतलब है कि सबसे खराब स्थिति खत्म हो चुकी है. मगर बाद में इस महामारी का सेंकड वेब आ सकता है. कोविड-19 भी ऐसी खतरनाक महामारी है.
राहत की बात है कि सबसे प्रभावित देशों के मुकाबले भारत का रिकवरी रेट काफी बेहतर है. यहां अब तक 2 लाख मरीजों में से 95 हजार 852 मरीज ठीक हो चुके हैं. हमारा रिकवरी रेट अभी 48.3% है. इसका मतलब ये है कि हर 100 में से 48 मरीज ठीक हो रहे हैं. यूके में सबसे कम रिकवरी रेट है. यहां अभी तक दो लाख मरीजों में सिर्फ 0.001% मरीज ही ठीक हो पाए हैं.