न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
बिहार वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों, छात्रों या अन्य लोगों को अब क्वारंटाइन नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश के सभी ब्लॉक स्तरीय क्वारंटाइन सेंटर भी 15 जून से बंद कर दिए जाएंगे. नीतीश सरकार ने फैसला किया है कि अब जो भी प्रवासी वापस आएगा उसे क्वारंटाइन के लिए रजिस्टर नहीं किया जाएगा. बता दें कि राज्य के 5 हजार क्वारंटाइन सेंटर्स में सोमवार तक करीब 13 लाख वापस बिहार लौटे लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
जारी रहेगी स्वास्थ्य निगरानी
बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि हम 30 लाख से अधिक प्रवासियों को वापस ला चुके हैं और सोमवार शाम से रजिस्ट्रेशन बंद कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि डोर टू डोर स्वास्थ्य निगरानी जारी रहेगी और चिकित्सा सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेवल 1 और 2 अस्पतालों तक समान रहेंगी.
2700 से अधिक प्रवासी कोरोना पॉजिटिव
गौरतलब है कि बिहार लौटने वाले कई प्रवासी मजदूरों में से कई में कोविड-19 की पुष्टि हुई है. सोमवार तक प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 3945 थी, जिनमें 2743 प्रवासी हैं. आपदा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ये सभी 3 मई के बाद बिहार वापस लौटे हैं.
कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले प्रवासियों में सबसे अधिक महाराष्ट्र से लौटने वाले हैं. यहां से आए 677 लोगों को कोरोना की पुष्टि हुई है. इसके अलावा दिल्ली के 628, गुजरात के 405 और हरियाणा के 237 लोग शामिल हैं. वहीं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के साथ ही अन्य राज्यों से लौटने वाले प्रवासियों में भी कोरोना की पुष्टि हुई है.
सुशील मोदी ने कही ये बात
इधर, सोमवार को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विदेशी विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि होम क्वारंटाइन सबसे अच्छा होता है. फिर भी हमने प्रवासियों को हर तरह की सुविधाएं दी हैं, जिसमें ट्रेन और बस किराए की भरपाई और ₹1000 मूल्य की आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं.
सरकार ने पहले भी किया था ऐलान
बता दें कि बीते 31 मई को ही सरकार ने ऐलान किया था कि 15 जून से ब्लॉक लेवल पर बने सभी क्वारंटाइन सेंटर बंद कर दिए जाएंगे. बिहार में देश के अन्य राज्यों से लौटकर आ रहे प्रवासी मजदूरों को ठहराने के लिए सरकार ने प्रखंडस्तर पर ऐसे क्वारंटाइन सेंटर बनाने के आदेश दिए थे.