न्यूज़ टुडे टीम ब्रेकिंग अपडेट : पटना/ बिहार :
विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी का खाता भी खुलवाने में असफल रहे उपेंद्र कुशवाहा अब भविष्य की राजनीति को लेकर एक बार फिर नीतीश कुमार के करीब आते दिख रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से पिछले दिनों मुलाकात की है और खुद कुशवाहा ने इस बात की जानकारी अपनी पार्टी की बैठक में दी. अब कुशवाहा एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक राह पर आगे बढ़ते देख सकते हैं. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार से जब उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों मुलाकात की उन्हें नीतीश की तरफ से बड़ा ऑफर दिया गया है. नीतीश कुमार चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड में कर दें.
बैठक के बाद लेंगे फैसला
कुशवाहा ने नीतीश कुमार के ऑफर पर अब तक के सहमति तो नहीं दी है, लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक के दौरान उन्होंने इस बात के संकेत जरूर दिए हैं कि उनके पास भविष्य की राजनीति के लिए विकल्प खुले हुए हैं. पिछले दिनों विधानसभा में तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के ऊपर टिप्पणी की थी तब कुशवाहा नीतीश कुमार के पक्ष में उतर आए थे. इसके बाद ही यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं बाद में गुपचुप तरीके से उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात की. इस बात की पुष्टि कुशवाहा ने खुद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की बैठक के दौरान की थी.
विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला
उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया था. कुशवाहा ने ओवैसी की एमआईएमआईएम और मायावती की बीएसपी के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और बिहार में चुनाव लड़ा ओवैसी की पार्टी 5 सीटें जीतने में सफल रहे, जबकि बीएसपी के खाते में 1 सीट आई. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का खाता भी नहीं खुल सका. अब कुशवाहा अपनी राजनीति को हाशिए पर देखते हुए एडजस्टमेंट की तलाश में है.
मंथन कर रहे कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा अगर नीतीश कुमार के साथ जाते हैं तो नीतीश के लिए यह लव कुश समीकरण को एक बार फिर से मजबूत करने वाली बात होगी. खुद कुशवाहा भी नीतीश कुमार के समर्थन में इन दिनों बयान दे रहे हैं. हालांकि नीतीश चाहते हैं कि कुशवाहा अपनी पार्टी का पूरी तरह से जेडीयू में भी ले कर दे. कुछ इसी तरह की चर्चा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को लेकर भी विधानसभा चुनाव के पहले हो रहा था, लेकिन जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में नहीं किया. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या कुशवाहा अपनी राजनीतिक पहचान को खत्म करते हुए एक बार फिर नीतीश के साथ होने के लिए आरएलएसपी का विलय करने को तैयार होंगे.