न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★सवाल है कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से निकाले जाएंगे या खुद इस्तीफा देंगे। लेकिन, कुशवाहा ने तीसरा रास्ता अख्तियार किया हुआ है। जानकार बता रहे हैं कि वह जदयू में रहकर वहां की कमजोरियों को उजागर करते रहेंगे। तब तक करेंगे जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे बातचीत नहीं कर लेते। हालांकि शुक्रवार को उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं किसी के कहने से पार्टी नहीं छोड़ूंगा।★
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उपेंद्र कुशवाहा को खुलकर कह दिया गया है, कि वे जहां जाना चाहते हैं, चले जाएं। अब सवाल है कि उपेंद्र कुशवाहा खुद इस्तीफा देंगे या फिर पार्टी उनको निकालेगी? दोनों परिस्थितियों में उपेंद्र कुशवाहा के साथ क्या कुछ होगा, यह सवाल राजनैतिक गलियारे में सभी को बेचैन किए हुए है। उधर जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बागी हो चुके हैं। CM नीतीश कुमार से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से सवाल कर रहे हैं।
उपेंद्र कुशवाहा यदि खुद इस्तीफा देते हैं तो उनकी सदस्यता बिहार विधान परिषद में रह जाएगी या इस्तीफा देना पड़ेगा? यदि पार्टी उनको बाहर का रास्ता दिखाती है तो फिर वह माननीय रह जाएंगे या फिर उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी? ऐसे कई सवाल लोगों के जेहन में है। हालांकि शुक्रवार को उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं किसी के कहने से पार्टी नहीं छोड़ूंगा।
तीसरे रास्ते पर कुशवाहा
सवाल है कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से निकाले जाएंगे या खुद इस्तीफा देंगे। लेकिन, कुशवाहा ने तीसरा रास्ता अख्तियार किया हुआ है। जानकार बता रहे हैं कि वह जदयू में रहकर वहां की कमजोरियों को उजागर करते रहेंगे। तब तक करेंगे जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे बातचीत नहीं कर लेते।
उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को यह जरूर कहा है कि जब से उन्होंने पार्टी ज्वाइन की है, तब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार भी फोन करके उनसे बातचीत नहीं की। जब जरूरत पड़ी तो उपेंद्र कुशवाहा ने ही उनको फोन किया। ऐसे में वो जदयू को मजबूत करने को लेकर संघर्ष करने की बात कह रहे हैं।
शोकॉज नोटिस भेज सकती है पार्टी
जदयू में उपेंद्र कुशवाहा की बगावत जब सतह पर आ गई तो यह परिस्थिति बन रही है कि पार्टी उनसे शो कॉज कर सकती है। उपेन्द्र कुशवाहा को शोकॉज तब दिया जा सकता है, जब वह पार्टी लाइन के खिलाफ बात करेंगे। वैसे भी उपेंद्र कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक सदस्य रहे हैं।
उन तमाम नेताओं से उनका जदयू पर ज्यादा अधिकार है, जो अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द हैं। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा बार-बार यह कह रहे हैं कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे, तो उसके पीछे का तर्क यह है कि वह भी जदयू के संस्थापक सदस्य हैं। इस हालात में जदयू पर नीतीश कुमार के बराबर का हक रखते हैं।
जदयू को नंबर एक करने की ली थी शपथ
इसके बावजूद जब स्थिति यह बन सकती है कि उपेंद्र कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए तो, ऐसे में वो तर्क दे सकते हैं कि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा है। उन्होंने पार्टी को मजबूत करने की बात कही है। पार्टी जहां कमजोर हुई है, उसकी बात रखी है।
जब उन्होंने 2021 में पार्टी की सदस्यता ली थी, तभी कहा था उनका लक्ष्य जदयू को नंबर एक बनाने का है। इन तमाम सवाल-जवाब के बाद उपेंद्र कुशवाहा को जदयू से बाहर का रास्ता दिखाना टेढ़ी खीर साबित होगा।
यदि पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को निकालने का बड़ा फैसला भी ले लिया तो ऐसे में जदयू खंडित हो सकता है। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा की बिहार विधान परिषद की सदस्यता बरकरार रह जाएगी, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा पर पार्टी विरोधी गतिविधि का आरोप नहीं लगा रहेगा।
इसके बावजूद अगर वह ह्वीप का उल्लंघन करेंगे, तब उनकी सदस्यता जाएगी। नहीं तो, पार्टी से हटाए जाने के बाद बिहार विधान परिषद के वह सदस्य रह सकते हैं।
इस्तीफा नहीं देंगे, निकाले नहीं गए तो सब ऐसे ही चलता रहेगा
उपेंद्र कुशवाहा के अभी तक के तेवर को देखते हुए यह साफ है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। इस्तीफा देने के बाद नियम के मुताबिक जैसे ही उनकी सदस्यता जदयू से हटेगी तो उन्हें बिहार विधान परिषद से भी इस्तीफा देना पड़ेगा, क्योंकि वह जदयू कोटे से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।
हालांकि उपेंद्र कुशवाहा जदयू में रहकर जदयू को मजबूत करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में जदयू के पास उपेंद्र कुशवाहा को लेकर बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। ना ही जदयू उन्हें निकाल सकती है और ना ही जदयू उन्हें अपने अंदरूनी बैठकों में शामिल करेगी। उन पर किसी तरह की पार्टी विरोधी गतिविधि का आरोप भी नहीं लगाया जा सकता। इसलिए ज्यादा संभावना है कि यह सब यूं ही चलता रहेगा।