
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★शरद यादव के निधन के बाद देश भर के नेता शोक व्यक्त कर रहे हैं. इसी क्रम जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी शरद यादव के प्रति शोक संवेदना जाहिर की है. हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा के शोक संदेश के बाद बिहार में सियासी हलचल भी तेज हो गयी है. उनके शोक संदेश के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.★
महान समाजवादी नेता शरद यादव अब हमारे बीच नहीं हैं. बीती रात उनका दिल्ली में निधन हो गया. निधन की खबर के बाद राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई. प्रधानमंत्री से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेताओं ने शोक जताया. बड़ी संख्या में नेता शरद यादव के आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सबलोग अपनी-अपनी तरह से समाजवादी नेता को याद कर रहे. शरद यादव के निधन के बाद बिहार में एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है. उन्हें श्रद्धांजलि देने जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा भी उनके दिल्ली आवास पर पहुंचे. इस दौरान कुशवाहा ने शरद यादव के अंत समय समय को याद काफी दुःखी हुए और कहा कि जिस तरह से उनके अपने लोगों ने उनके साथ व्यवहार किया उसे याद कर वो रोने लगते थे.
कुशवाहा का नीतीश पर निशाना
शरद यादव को याद कर जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उनके जीवन के अंत के वर्ष में व्यक्तिगत रूप से उनसे मेरा लगाव ज्यादा हो गया था. जब हम इनसे मिलते थे तो इनकी आंखों में आंसू आ जाता था. पुरानी बातों को याद करते हुए. शरद यादव जी खुद ही शेयर करते थे कि आज इस दौर में कोई हम से टेलीफोन पर वैसे लोग भी बात नहीं करते जिन्हें इनसे ताकत मिली और देश में बड़ी-बड़ी जगह पर पहुंचे .अगर शरद जी नहीं होते तो वैसे लोग इतनी ऊंची जगह पर नहीं पहुंच पाते. उनकी ओर से इस तरीके का व्यवहार को महसूस कर इनकी आंखों में पानी भर आता था. इनका उनका अनुभव था. जितना दुख इन कारणों से जीवन के अंतिम वर्षों में झेला है.
उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि शरद याव जैसे समाजवादी नेता बार-बार जन्म नहीं लेते हैं और उनकी जगह भी कोई नहीं ले सकता है. शरद यादव जी हाल के दिनों में देश की राजनीति में एक केंद्र बन गए थे. आज उनके जाने के बाद वह केंद्र ही समाप्त हो गया है. उपेन्द्र कुशवाहा कहते हैं कि शरद जी जीवन भर वंचितों शोषितों और दबे कुचले लोगों के हक के लिए आवाज उठाते रहे हैं. लेकिन, आज जब उनका अंत हुआ वो बेहद दुखद है. निधन के पहले उनकी जो मानसिक हालत थी वो बेहद दुखद थी. भगवान किसी राजनीतिज्ञ को ऐसा अंत न दे.
उपेन्द्र कुशवाहा ने भले ही सीएम नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया हो, लेकिन सीधे-सीधे उन्होंने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया. हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा के शोक संदेश के बाद बिहार में सियासी हलचल भी तेज हो गयी है. उनके शोक संदेश के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
नीतीश की वजह से शरद को होना पड़ा था अलग
शऱद यादव ऐसे शख्स थे जिन्होंने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में अहम योगदान था. शायद शरद यादव नहीं होते तो नीतीश कुमार इतनी ऊंचाई तक नहीं पहुंचते. लेकिन बाद के वर्षों में नीतीश कुमार अपने वरिष्ठ नेता को देखना भी पसंद नहीं करते थे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटवाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. शऱद यादव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु भी माना जाता रहा. उनके बताए पदचिह्नों पर नीतीश कुमार चले. हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जहा सकता. नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक बढ़ते कद के चलते शरद यादव को हाशिए पर ला दिया. शरद यादव जेडीयू से बाहर हो गए और नई पार्टी बनाई थी हालांकि वो नहीं चली और अब वो लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD के साथ पिछले कुछ वर्षो से जुड़े हुए थे.