न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
कोरोना योद्धा के नाम पर ऑनलाइन सम्मान पत्र का धंधा, कोरोना से जंग लड़ रहे योद्धाओं डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मियों के साथ पत्रकारों को भी सम्मानित किया जा रहा है। देश भर में कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने की होड़ मची है।
सम्मान पत्र के नाम पर कुछ सामाजिक संस्था कोरोना योद्धाओं के नाम पर सम्मान पत्र जारी कर रही हैं। सम्मान पाने वाले उसे बड़े गर्व से समाचार पत्रों में प्रकाशित करवा रहे हैं, साथ ही फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खूब वाहवाही भी लूटी जा रही है। हमारे कई पत्रकार साथी हैं जिन्हें सम्मान पत्र का सर्टिफिकेट भेजा गया है। कुछ साथियों ने उस सम्मान को यह कहते हुये वापस कर दिया है कि उन्होंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिसके लिये उन्हें यह सम्मान दिया जाये। ऐसे उन पत्रकार साथियों का कहना है जिन्होंने उस सम्मान को वापस भेजा है, कोरोना योद्धा का सम्मान पाने के लिये डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी एवं सफाईकर्मियों अधिक हक़दार हैं।
ऐसे सम्मान पत्र भेजने वाली संस्थाओं के बारे में जब हमने पड़ताल किया तब इस बात का खुलासा हुआ कि अधिकांश फर्ज़ी संगठन पत्रकारों को ऑनलाइन यह सम्मान दे रही हैं।
गिरिडीह के बगोदर के रहने वाले एक व्यक्ति, जो वर्तमान में मुंबई में एक टेंट हाउस के मैनेजर हैं, लगभग 150 से अधिक आंचलिक पत्रकारों को यह सम्मान अबतक बांट चुके हैं। जब हमने उनसे पूछा कि आप यह ऑनलाइन कैसे तय करते हैं कि कोई पत्रकार कोरोना महामारी में क्या योगदान दे रहा है तो उनका जवाब था कि वह पत्रकार है कोरोना को लेकर खबरें बना रहा है कोरोना को लेकर उसके द्वारा प्रकाशित खबर को देख कर उसके नाम पर सम्मान पत्र हम जारी कर देते हैं। जब हमने उस से पूछा कि आप को किसने अधिकृत किया है कि आप यह तय करें कौन कोरोना योद्धा है और कौन नहीं, तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था।
मुंबई के पत्रकार साथियों से पता करने पर पता चला कि वह इस तरह के कई फर्जी अवार्ड फंक्शन का आयोजन करता आया है, और उस अवार्ड फंक्शन के नाम पर उसे अच्छी कमाई भी हो जाती है, उसके बावजूद उसके संस्था की खबर को मुंबई के अखबारों में भी स्थान नहीं मिल पाता था अब वह पत्रकारों को सम्मान पत्र बांट कर अपने संस्था के नाम का प्रचार प्रसार कर रहा है।
दिल्ली से हमारे पत्रकार साथी पवन भार्गव का कहना है कि केवल दिल्ली में ही कोरोना काल में दर्जन भर फर्जी पत्रकार संगठन बन गये हैं, जो पत्रकारों को मुफ़्त सम्मान पत्र देने का लालच देकर पत्रकारों को अपने संगठन से जोड़ रहे हैं।
झारखण्ड के रामगढ़ और हजारीबाग जिला में लगभग 150 पत्रकारों को उन फर्जी संगठनों द्वारा यह सम्मान पत्र जारी किया गया है। पटना, मुजफ्फरपुर, बेतिया और मोतिहारी के साथी पत्रकार भी इससे अछूते नहीं हैं। सबसे हास्यास्पद है कि सम्मान पत्र पाने वाले आंचलिक पत्रकार उस सम्मान पत्र को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवा रहे हैं और यह दिखाने का भी प्रयास कर रहे हैं कि कोरोना महामारी को लेकर उन्हें यह सम्मान मिला है जो उनके लिये गौरवान्वित करने वाली बात है।
कोरोना महामारी को लेकर देश भर में मीडियाकर्मी अग्रिम पंक्ति में हैं कोरोना योद्धा के रूप में इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है। देश के विभिन्न राज्यों में दर्जनों पत्रकार जो कोरोना पीड़ितों की खबर को कवर कर रहे थे वे पॉजिटिव पाये गये हैं। परन्तु वे भी इस तरह के सैंकड़ो फर्जी संगठनों द्वारा बांटे जा रहे सम्मान पत्र पाने के लिये लालायित नहीं नज़र आये।
कोरोना महामारी को कवर करने वाले पत्रकारों को उनके कार्यों के लिये जिला स्तर पर जिलाधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी अगर सम्मानित करते, राज्य सरकार के मंत्री एवं पदाधिकारी राज्य स्तर पर चिन्हित कर एक मानक तय कर ऐसा करते तो भी बात समझ में आती। पत्रकारों को सम्मान पत्र वे जारी कर रहे हैं जिनके संस्थाओं के बारे में पत्रकार तपतीश करेंगे तो यह पायेंगे कि अधिकांश उनमें ऐसे हैं जो अपनी संस्था की आड़ में कई गलत कार्यों में संलिप्त हैं। जिन पत्रकारों को ऐसे फर्जी संस्थाओं की जांच कर खबरें बनानी चाहिये थी वे उनके ऑनलाइन सम्मान पत्र से फूले नहीं समा रहे हैं। पत्रकारों को भी इन दिनों अब छपास रोग लग गया है, खबरें बनाने वाले अब खुद खबरों की सुर्खियां बनना चाहते हैं। ऐसे सम्मान पत्र पाने वाले पत्रकारों को देख कर आप यह आसानी से तय कर सकते हैं कि उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य और लक्ष्य क्या है।