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न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव : 5 साल में कुल 450 घंटों के फुटेज कैप्चर, बनी 39 मिनट की द एलिफेंट व्हिस्परर्स, डॉक्यूमेंट्री में दिखी इंसान-जानवरों की बॉन्डिंग, शूटिंग से ऑस्कर विनिंग फिल्म तक का सफर

न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :

डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :

★पांच साल में शूट हुई थी फिल्म, कुल 450 घंटों के फुटेज कैप्चर किए गए। ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री है। इस कैटेगरी की फिल्में बनाने के लिए लोगों की असली जिंदगी को फॉलो किया जाता है। फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी ने पांच साल तक बोमन और बेली की जिंदगी को करीब से देखा।★

भारत की फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। इस फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस और प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं। 39 मिनट की इस शार्ट फिल्म में इंसान और जानवरों के बीच की बॉन्डिंग को दिखाया गया है।

फिल्म की कहानी दक्षिण भारतीय कपल बोमन और बेली की है, जो रघु नाम के एक छोटे अनाथ हाथी की देखभाल करते हैं। इस डॉक्यूमेंट्री को ओरिजनली तमिल भाषा में बनाया गया था। 8 दिसंबर 2022 को यह नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई थी।

पांच साल में शूट हुई थी फिल्म, कुल 450 घंटों के फुटेज कैप्चर किए गए

‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री है। इस कैटेगरी की फिल्में बनाने के लिए लोगों की असली जिंदगी को फॉलो किया जाता है। फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी ने पांच साल तक बोमन और बेली की जिंदगी को करीब से देखा।

कार्तिकी ने बेबी एलिफेंट रघु के साथ जो भी पल बिताए वे सब कैप्चर किए गए। रघु के शॉट कैप्चर करने के लिए उसे कोकोनट मिक्सचर खिलाया जाता था। इसे खाकर वह खुशी से झूम उठता था और ये मोमेंट्स रिकॉर्ड कर लिए जाते थे। इस तरीके से साढ़े चार सौ घंटे के फुटेज कैप्चर हुए।

फिल्म में नेचर कंजर्वेशन की अहमियत समझाई

फिल्म तमिलनाडु के मदुमलाई रिजर्व में सेट है। इसमें लोकेशन की प्राकृतिक सुंदरता दिखाई गई है। साथ ही प्रकृति के लिए आदिवासियों का प्यार दर्शाया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे आदिवासी प्रकृति को सहेजे हुए हैं। ये फिल्म पर्यावरण संरक्षण की भारतीय संस्कृति और परंपरा को भी दिखाती है।

रघु को बेटा मानते हैं बोमन-बेली, ऐसे मिली कहानी…

न्यूज़ टुडे को दिए एक इंटरव्यू में डायरेक्टर कार्तिकी ने कहा था- मैं बस रघु से दोस्ती करने की अपनी जर्नी शूट कर रही थी। मेरे मन में नहीं था कि मुझे डॉक्यूमेंट्री बनानी है। लेकिन, जो प्यारे पल कैप्चर हुए उन्हें देखकर लगा कि 15 मिनट की कोई छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बना ही लेते हैं।

उन्होंने कहा था- कुछ फुटेज कैमरे में शूट किए थे, कुछ फोन में रिकॉर्ड किए थे। मैं बोमन, बेली और रघु की हर सिंगल चीज को बस कैमरे में कैद करती गई। तीनों के बीच मुझे कमाल का फैमिली डायनामिक यानी परिवार वाला रिश्ता महसूस हुआ। वो दोनों रघु को अपने बेटे के समान मानकर चल रहे थे। इन बातों से मुझे स्ट्राइक हुआ कि ये तो कमाल की कहानी है।

फिल्म का नेटफ्लिक्स तक पहुंचने का सफर…

प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने न्यूज़ टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा था- डायरेक्टर कार्तिकी ने कहानी ढूंढी। वो बोमन, बेली और रघु के बारे में जानती थीं। फिल्म बनाने के लिए उन्होंने बेबी एलिफेंट रघु से दोस्ती की।

दोस्ती करने में एक साल लग गया

बेबी एलिफेंट बड़े प्यारे होते हैं। उनमें काफी हद तक इंसानों की तरह दिल टूटने से लेकर, हंसी, खुशी सब फीलिंग होती है। कार्तिकी ने सब कुछ शूट किया। उसका ट्रेलर बनाया। उनकी विजुअल स्ट्रेंथ भी कमाल की है। फिर कार्तिकी ने ट्रेलर नेटफ्लिक्स के साथ शेयर किया, जो नेटफ्लिक्स को पसंद आया। ऐसे ये कहानी नेटफ्लिक्स तक पहुंची।

डायरेक्टर की आधी लाइफ जंगलों में बीती है

इंटरव्यू के दौरान ‘द एलिफेंट विस्परर्स’ की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विसने बताया था कि उनकी आधी जिंदगी जंगल में बीती है। उन्होंने कहा था- 18 महीने की उम्र से मेरा जंगलों में आना जाना लगा रहा है। मेरा बचपन घुड़सवारी, नदियों के किनारे बीता है।

उन्होंने कहा था- मेरी मां भी नेचुरल हिस्ट्री और कल्चरल फोटोग्राफी में रही हैं। मेरी ग्रैंडमदर नेचुरल रिजर्व्स में रही हैं, और उस बारे में पढ़ाती भी रही हैं। तो मुझे काफी छोटी उम्र में ही एनिमल बि​​​​​हेवियर के बारे में काफी जानकारी मिल गई थी। मैं एनिमल प्लैनेट और डिस्कवरी चैनल के शो के लिए कैमराविमेन भी रही हूं। मेरा ज्यादातर वक्त उजाड़ जगहों में बीतता है।

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