न्यूज़ टुडे ब्रेकिंग अपडेट : अयोध्या
ई. युवराज, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★अयोध्या में शालीग्राम पत्थर की तलाश पूरी हो गई है। नेपाल की गंडकी नदी से यह शिला निकाली गई है। 7 फीट गुणा 5 फीट आकार की शालीग्राम शिला को वहां से निकाला गया है। बसंत पंचमी के मौके पर पूजा के बाद शिलायात्रा का आयोजन किया जाएगा। शिलायात्रा के दौरान इसका पूजन और स्वागत दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी, गोपालगंज और गोरखपुर मंदिर में होगा। इसके बाद शालीग्राम पत्थर को अयेाध्या लाया जाएगा। शालिग्राम शिला की यात्रा बसंत पंचमी के दिन यानी 27 जनवरी से जनकपुर से शुरू होगी। इसके 2 फरवरी तक अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है।★
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। राम जन्मभूमि मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के निर्माण की डेडलाइन अक्टूबर 2023 तय होने के बाद अब रामलला की प्रतिमा के निर्माण समय से पूरा करने की तैयारी शुरू हो गई है। रामलला की प्रतिमा साढ़े पांच फुट ऊँची खड़ी मुद्रा में बनेगी। इसके लिए शालिग्राम पत्थर की तलाश पूरी हो गई है। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल को नेपाल की गंडकी नदी के इलाके से इस पत्थर की व्यवस्था के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि 7 फीट गुणा 5 फीट आकार की शालिग्राम की शिला निकाल ली गई है। जनकपुर में बसंतपंचमी के पर्व पर 27 जनवरी को इसकी पूरे विधि-विधान के साथ पूजन होगा। पूजन और साधु-संतों के अनुष्ठान के बाद शालीग्राम प्रतिमा को जनकपुर से अयोध्या लाया जाएगा। इसे लाने के लिए मधुबनी- दरभंगा रास्ते को चुना गया है।
शिलायात्रा के दौरान इसका पूजन और स्वागत दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी, गोपालगंज और गोरखपुर मंदिर में होगा। इसके बाद शालीग्राम पत्थर को अयेाध्या लाया जाएगा। कामेश्वर चौपाल ने बताया कि शालिग्राम शिला की यात्रा बसंत पंचमी के दिन यानी 27 जनवरी से जनकपुर से शुरू होगी। इसके 2 फरवरी तक अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि नेपाल के लोगों को जब यह पता चला कि इसी शिला से रामलला का विग्रह बनेगा तो वहां इसके पूजन और स्वागत को लेकर खासा उत्साह दिख रहा है।
नेपाल सरकार ने उपलब्ध कराई है शिला
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि यह शालीग्राम शिला काफी मंहगी है। हालांकि, इसे नेपाल सरकार के सौजन्य से प्राप्त कर लिया गया है। इस शालिग्राम शिला की धार्मिक महत्ता है। इसमें भगवान विष्णु का वास माना जाता है। शालिग्राम की शिला और प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि 6 तरह का लाभ होता है। सुखद जीवन, समृद्धि, बुरी शक्तियो से रक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, विश्वव्यापी आनंद और भगवान की कृपा का योग इससे बनता है।
पुरातत्व विभाग की जांच के बाद चयन
कामेश्वर चौपाल ने बताया कि गंडकी नदी से इस शिला का चयन करने के लिए नेपाल के पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से मदद ली गई। इनके सहयोग से उच्च श्रेणी की शिला का चयन किया गया है।
शिल्प विशेषज्ञ तैयार करेंगे प्रतिमा
राम मंदिर ट्रस्ट के महा सचिव चंपत राय के मुताबिक, रामलला की प्रतिमा की डिजाइन और माडल तैयार करने के लिए मूर्ति निर्माण के देश के ख्याति प्राप्त शिल्पियों की तीन सदस्यीय टीम काम कर रही है। खड़ी मुद्रा की प्रतिमा के कई छोटे-छोटे मॉडल आ चुके हैं। उनमें से किसी का चयन मंदिर ट्रस्ट करेगा। यह प्रतिमा साढ़े पांच फीट ऊँची होगी। इसके नीचे करीब 3 फीट ऊँचा पेडिस्ट्रियल होगा।
चंपत राय ने कहा कि खगोलशास्त्री इसके लिए ऐसी व्यवस्था कर रहे है, जिससे रामनवमी को देापहर 12 बजे प्रभु राम के जन्म के अवसर पर राम लला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ कर इसे प्रकाशमान करें। अगले साल जनवरी में मकर संक्राति के शुभ मुहूर्त पर राम लला के विग्रह की भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यकम तय किया गया है।