न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने की राह में धन संकट खड़ा हो गया है। राज्य सरकार ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पैसा देने से साफ मना कर दिया है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पिछले चार सालों में पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड को 380 करोड़ रुपए मिले। वर्ष 2019 में राज्य सरकार की ओर से साफ किया गया कि अगले तीन वर्षों में 620 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से 194 करोड़ रुपए केंद्र और 186 करोड़ रुपए राज्य सरकार की ओर से प्राप्त हुए हैं। अब राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 व वित्तीय वर्ष 2021-22 में राशि दिए जाने से इनकार कर दिया गया है। ऐसे में स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं को पूरा कराने को लेकर संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी परियोजना को नगर निकायों में मॉडल के रूप में पेश करने के लिए शुरू किया गया, लेकिन राजधानी पटना में इसको सही तरीके से शुरू नहीं किया जा सका।
योजनाएं बन रहीं… बदल रहीं..जमीन पर हालात जस के तस
पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के गठन का चार साल पूरा हो चुका है, लेकिन गिनाने के लिए अब तक एक ही परियोजना है, जिसका उद्घाटन हुआ है। एक अन्य परियोजना को पूरा कराने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन उद्घाटन नहीं हो सका है। अन्य परियोजनाओं की गति लगातार प्रभावित हो रही है। पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड का गठन 2017 में हुआ और उस समय 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। वर्ष 2018 में योजनाओं को कागज पर उतारने का कार्य ही चलता रहा। फरवरी व मार्च 2019 में प्रस्तावित योजनाओं का शिलान्यास हुआ। तमाम परियोजना स्थलों पर बोर्ड लग गए, लेकिन इसके बाद से कार्य को तेज गति से चला पाना संभव नहीं हो पाया।
नाराज मेयर का निशाना योजनाएं जमीन पर न उतरे तो लोगों को क्या फायदा
मेयर सीता साहू ने स्मार्ट सिटी की ओर से योजनाओं के जमीन पर न उतारे जाने को लेकर सवाल खड़ा किया है। कहा-केवल योजना बनाना, फिर उसे रद्द करना और फिर नए सिरे से योजना बनाने से आमलोगों को कोई लाभ नहीं होने वाला है। सशक्त स्थायी समिति सदस्य डाॅ. आशीष कुमार सिन्हा ने कहा कि पिछले चार साल से स्मार्ट सिटी की योजनाएं ही बन रही हैं।
अदालतगंज तालाब योजनापूरा कराने में आई दिक्कत से धन संकट का खुलासा
स्मार्ट सिटी के तहत अदालतगंज तालाब पुनर्विकास योजना मार्च 2019 में शुरू हुई। इसे 12 माह में पूरा करना था। लागत 9.84 करोड़ रुपए थी। 12 मई 2020 को लागत घटाकर 8.68 करोड़ की। फिर 10.73 करोड़ हुई। इसके लिए 3.09 करोड़ की जरूरत थी। इसे स्मार्ट सिटी योजना के बचत मद से देने का निर्णय लिया गया। क्योंकि सरकार ने राशि देने से मना कर दिया।
सरकार बोलीं- बचत मद का उपयोग करें, हम राशि नहीं देंगे
पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से 16 जनवरी को पत्रांक 174/2019/125 के जरिए विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार से राशि देने का अनुरोध किया गया। इस पर नगर विकास विभाग की ओर से 25 फरवरी को पत्र संख्या 451 में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में राज्य योजना मद से स्मार्ट सिटी के लिए राशि देना संभव नहीं होगा। पत्र में कहा गया है कि कई योजनाओं को रद्द और कई की प्राक्कलित राशि पहले से कम हो गई है। उस बचत राशि का इस्तेमाल करें।