न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है। अरे महराज रूकये बिहार सरकार का यह नारा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इससे इत्तेफाक नहीं रखती। एक मामले की सुनवाई के दौरान जज साहेब ने सीएम नीतीश कुमार और उनकी सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि लगता है बिहार में कानून का नहीं पुलिस का गुंडाराज है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां किसी गरीब के अधिकारों के उल्लंघन के मामले में मुआवजे का सवाल है तो वह अमीर व रसूखदार शख्स के बराबर होगा। बिहार सरकार की दलील गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पटना हाईकोर्ट ने बिल्कुल सही फैसला सुनाया है।
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस शाह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में अपील में नहीं आना चाहिए था। किसी इंसान को हुए नुकसान को इस नजरिए से नहीं देखा जा सकता कि अगर जिसके साथ घटना हुई वह एक अमीर आदमी है तो अधिक मुआवजा मिलना चाहिये। कानून की नजर में कम पैसे वाला आदमी भी संपन्न व्यक्ति के समान है।
बेंच ने कहा कि “क्या बिहार सरकार ने अपने ही डीआईजी की रिपोर्ट को देखा है? डीआईजी ने हाईकोर्ट में दिये बयान में साफ-साफ कहा कि इस मामले में समय पर एफआईआर नहीं की गई, संबंधित व्यक्तियों का बयान नहीं लिया गया, वाहन का निरीक्षण नहीं किया गया और बिना किसी कारण के गाड़ी और ड्राइवर को थाने में डिटेन करके रखा गया।”
हाईकोर्ट के पांच लाख मुआवजा देने के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में कहा गया कि राज्य सरकार ने जिम्मेदारी के साथ इस मामले को डील किया और जिम्मेदार एसएचओ को सस्पेंड किया गया है और कार्रवाई चल रही है। लेकिन साथ ही दलील दी कि ड्राइवर के मामले में मुआवजा राशि पांच लाख ज्यादा है।
35 दिन के बाद केस दर्ज करने पर हाईकोर्ट ने जताई थी हैरानी
दरअसल मामला एक मिल्क टैंकर के ड्राइवर को अवैध तरीके से 35 दिनों तक हिरासत में रखने का था। पटना हाईकोर्ट को ईमेल से शिकायत मिली थी जिस पर कोर्ट ने सुनवाई की थी। कोर्ट को बताया गया था कि सारण जिले की परसा थाना पुलिस ने मिल्क टैंकर के ड्राइवर जितेंद्र कुमार उर्फ संजय कुमार को 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया, लेकिन उसके खिलाफ प्राथमिकी 3 जून को दर्ज की गयी। यानी गिरफ्तारी के 35 दिन बाद। हाईकोर्ट ने इसे हैरान कर देने वाला मामला बताया था।
सरकार की दलील- एक ड्राइवर के लिए पांच लाख मुआवजा तय करना ज्यादा है
जज ने कहा- राज्य सरकार की दलील है कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया था लेकिन वह अपनी मर्जी से थाने में एंजॉय कर रहा था? आप सोच रहे हैं कि आपकी इस दलील पर कोर्ट विश्वास कर लें।