न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना- बिहार/ नई दिल्ली :
★पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि राज्य के लोगों का यह मौलिक अधिकार है कि उन्हें यह जानकारी दी जाए कि प्रदेश में कोरोना से कितने लोगों की मौत हुई है.★
बिहार में कोरोना की दूसरी लहर भले ही कमजोर पड़ गई हो लेकिन दूसरी लहर के दौरान राज्य में कितने लोगों की कोरोना से मौत हुई है, इसका सही आंकड़ा अब तक लोगों के सामने नहीं आ पाया है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है.
पटना हाईकोर्ट ने कोरोना से राज्य में हुए मौत के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि राज्य के लोगों का यह मौलिक अधिकार है कि उन्हें यह जानकारी दी जाए कि प्रदेश में कोरोना से कितने लोगों की मौत हुई है.
इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट ने कहा कि सूबे में कोरोना की दूसरी लहर से मौत के आंकड़ों में हुई गड़बड़ी को देखते हुए ही एक डिजिटल पोर्टल की जरूरत महसूस हुई. ताकि आम लोगों को रोजाना जन्म मृत्यु के आंकड़ों की सही जानकारी मिल सके.
सूबे में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह टिपण्णी की है कि क्या बिहार की 10 करोड़ जनता को यह जानने का अधिकार नहीं है कि पिछले एक साल से कितने लोग कोरोना से मरे हैं? क्या राज्य सरकार की यह ड्यूटी नहीं बनती है कि हर मौत की जानकारी लोगों को दें?
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार ने शिवानी कौशिक व अन्य जनहित मामलों में 28 पन्नों के आदेश से यह तय किया कि कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को जानना लोगों का मौलिक अधिकार है. लोगों को जन्म-मृत्यु के सटीक आंकड़े देना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. इसलिए हाईकोर्ट ने सूबे में तमाम जन्म-मृत्यु के पोर्टल्स को अपडेट कर आम जनता के लिए खोलने हेतु राज्य सरकार को दस सूत्री निर्देश भी दिया है.
आज के 28 पन्नों के वृहद आदेश के अंत में हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि राज्य के मुख्य सचिव या विकास आयुक्त फौरन उच्चस्तरीय बैठक कर शुक्रवार के इस आदेश को राज्य में अनुपालन कराने के लिए सुनिश्चित कराने का प्रयास करें.