न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★कोरोना पोजेटिव होते ही केंद्र और राज्य सरकार दोनों को सूचना मिल जाती है। जिस परिवार में तीन तीन कमाऊं लोगों की मौत हो गई, वहां प्रशासन इतना संवेदनहीन कैसे हो सकता है? ताज्जुब की बात तो यह कि दिन रात कोविड सेंटरों में दौड़ लगानेवाले जिलाधिकारी को यह बात पता कैसे नही चली, मतलब साफ है कि पूरी व्यवस्था में सीधे झोल है।★
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में मानवता एवं सरकारी व्यवस्था को शर्मसार कर रही है यह ख़बर। कोरोना की मार से बर्बाद हुए परिवार की कहानी जानकर आप आंसू नही रोक पाएंगे। कमाऊ पति,बेटे और बहू की मौत के बाद दादी व मासूम पोती का आशियाना एक शौचालय बना हुआ है। किसी भी तरह का सरकारी लाभ नहीं मिलने से लाचार भीख मांगकर अपना जीवनयापन कर रही है दादी पोती। मामले की जानकारी मिलते ही डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं। करायपरसुराय थाना अंतर्गत वार्ड संख्या 3 के दिरीपर गांव में सरकारी व्यवस्था की पोल खोलने वाला मामला सामने बुधवार को सामने आया।
घर के कमाऊ सदस्यों की मौत के बाद 6 साल की बच्ची को अपनी बुजुर्ग दादी के साथ शौचालय को आशियाना बनाना पड़ा। दोनों आस-पास के गांवों में भीख मांगकर अपना जीवन यापन कर रही हैं।
बुजुर्ग कौशल्या देवी और पोती सपना कुमारी परिवार की मौत के बाद दादी-पोती को किसी भी तरह का सरकारी लाभ नहीं मिला, कोरोना पोजेटिव होते ही केंद्र और राज्य सरकार दोनों को सूचना मिल जाती है। जिस परिवार में तीन तीन कमाऊं लोगों की मौत हो गई, वहां प्रशासन इतना संवेदनहीन कैसे हो सकता है? ताज्जुब की बात तो यह कि दिन रात कोविड सेंटरों में दौड़ लगानेवाले जिलाधिकारी को यह बात पता कैसे नही चली, मतलब साफ है कि पूरी व्यवस्था में सीधे झोल है।
बुजुर्ग कौशल्या देवी को पड़ोसियों का बचा खाना मिल जाता है तो दादी-पोती को त्योहार लगता है। महिला ने बताया कि उनके पति, बेटे-बहू की मौत के बाद घर में कोई कमाऊ सदस्य नहीं रहा। धूप व पानी से बचने के लिए दोनों शौचालय को ही आशियाना बना लिया। कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं आया।