न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
बिहार चुनाव परिणाम के बाद से ही बिहार सरकार और राज्य के नियोजित मास्टरों के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। ताज अपडेट के अनुसार शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार शुरू से ही मास्टरों के लिए काम कर रही है। नियोजित मास्टरों को पहले 4000 सेलरी मिलती थी। अब उन्ही शिक्षकों को 27000 का वेतन दिया जा रहा है। लेकिन पढ़ाने में इनसे बेहतर PVT स्कूलों के शिक्षक हैं। अशोक चौधरी मधुबनी के बेनीपट्टी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
आज से खुले हैं स्कूल-कोचिंग, जब अभिभावक सहमत तभी आएंगे बच्चे, 50% स्कूल बसें नहीं चलेंगी
आज से स्कूल खुले हैं। इसके लिए रविवार को तैयारी की गई। बाल्डविन एकेडमी में सामाजिक दूरी के साथ बच्चों की इंट्री के लिए गोला बनाया गया है।अभी 9वीं से 12वीं तक की 8 बजे के बाद से चलेंगी कक्षाएं, जो बच्चे नहीं आएंगे उनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई…प्रार्थना सभा, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे, स्कूल से बाहर पिकनिक नहीं..कोरोनाकाल में 306 दिनों से बंद राज्य के सरकारी व निजी स्कूलों में 50% विद्यार्थियों की हाजिरी के साथ सोमवार से कक्षाएं शुरू होंगी। कक्षा 9 से 12 तक के स्कूलों में पहले रोज एक तिहाई बच्चे मार्गदर्शन के लिए आ रहे थे। अब नियमित कक्षाएं चलेंगी। शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के आधार पर स्कूल व कोचिंग खोलने की तैयारी है। अभिभावक की सहमति के बाद ही बच्चों को स्कूल आना है।
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स बिहार के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह और महासचिव डॉ. राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि अभी 9 से 12वीं तक की ही कक्षाएं चलेंगी। प्रत्येक कक्षा के केवल 50 प्रतिशत विद्यार्थी ही एक दिन बुलाए जाएंगे। शेष 50 प्रतिशत अगले दिन आएंगे। आधे विद्यार्थियों का निर्णय कक्षा को दो सम-भागों में रोल नंबर द्वारा विभाजन से अथवा सम और विषम संख्या के अनुरूप होगा, यह निर्णय विद्यालय प्रधान के ऊपर है। जिस दिन विद्यार्थी को विद्यालय आने का क्रम नहीं है, उस दिन उसे एक या दो पीरियड ऑनलाइन शिक्षा का भी लाभ दिया जा सकता है।
कक्षाएं सुबह 8 बजे के बाद ही आयोजित होंगी। प्रार्थना सभा और सांस्कृतिक या क्रीड़ा कार्यक्रम अभी नहीं होंगे। बच्चों को विद्यालय से बाहर ले जाकर किसी भी तरह के पिकनिक आदि के आयोजन की अनुमति भी नहीं दी गई है। स्कूल कोविड केयर कमेटियों का गठन करेंगे ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही की संभावना न रहे। यदि विद्यालय आने के पश्चात बच्चे में बुखार के लक्षण दिखते हैं तो उसे कक्षा से अलग कर प्रारंभिक चिकित्सा प्रदान की जाएगी और अभिभावक को बच्चे को अपने साथ ले जाने की सूचना दी जाएगी।