न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : संग्रामपुर-मोतिहारी/ बिहार :
पूर्वी चंपारण के संग्रामपर प्रखंड स्थित उतरी भवानीपुर पंचायत के वार्ड आठ की रहने वाली 75 वर्षीया विधवा सुमित्रा कुँवर को सरकारी कर्मी गरीब नहीं मानते जबकि इसे भीख मांग कर अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती हैं। पति सुखल पासवान के मौत के बाद जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन दूसरे के द्वारा दिए जाने वाले अनाज या भोजन है।बासगीत की जमीन नहीं होने के चलते गंडक नदी के बांध के नीचे झोपड़ी बना कर किसी तरह गुजर बसर कर रही हैं। एक पुत्र हैं उसका भी शायद कोई पता नहीं। इसने लगातार राशन कार्ड के लिए के लिए प्रखण्ड कार्यालय इस उम्र में पैदल जाकर आवेदन किया, लेकिन कर्मी और पदाधिकारी इसे गरीब ही नहीं मानते जिससे इस गरीब का राशन कार्ड नहीं बना।लॉकडाउन के साथ उम्र की अंतिम पड़ाव का दंश झेल रही सुमित्रा को खाने के लाले पड़ रहे हैं। कारण कि लॉकडाउन में किसी दरवाजे पर कुछ मांगने भी नहीं जा सकती। चूल्हा नहीं जलने पर अगल बगल के किसी की मेहरबानी हुई तो उसने कुछ खिला दिया अन्यथा झोपड़ी बैठ खाने के लिए बगलगीर का मुंह ताकना नियति बन गयी। सुमित्रा के राशन कार्ड के वावत पूछने पर कोई पदाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।उसके बगलगिरो ने बताया कि जब मुखिया निवेदिता कुमारी को इसके राशन कार्ड नहीं होने की भनक लगीं तो उनके द्वारा प्रत्येक माह अपने घर से कुछ खाद्यान दिया जाने लगा और उसके राशन कार्ड के लिए आवेदन भी करवाई गयी, लेकिन चार सालों बाद भी इसे राशन कार्ड नसीब नहीं हुआ।