न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : दरभंगा- पटना/ बिहार :
बिहार में बाढ़ से हाहाकार है। लोग त्राहिमाम है। देखिए, दरभंगा ज़िले के असराहा गाँव में एक गर्भवती महिला को उनके परिजन कैसे जुगाड़ के नाव से अस्पताल ले जा रहे है।
नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए तेजश्वी ने कहा कि ये छवियाँ 15 वर्षीय विज्ञापनी सुशासन और कागजी विकास की पोल खोल रही है। यह वीडियो नीतीश कुमार के 15 वर्षों की स्वास्थ्य व्यवस्था, कटाव और बाढ़ नियंत्रण, आधारभूत संरचनात्मक विकास और आपदा प्रबंधन की धज्जियाँ उड़ा रहा है। सभी विभागों का बजट इनके संगठित भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है। युवा साथियों से आग्रहपूर्वक निवेदन है कि आख़िर कब तक हमारा बिहार ऐसे ही चलेगा।अब समय है बदलाव का, विकसित बिहार का।
स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी के कारण बिहार कोरोना का राष्ट्रीय हॉटस्पॉट बन सकता है, डब्लूएचओ ने ऐसी आशंका जताई है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा कि बिहार सरकार सूबे के निवासियों के साथ कोरोना संकटकाल में भी खिलवाड़ कर रही है। आज भी बिहार में आवश्यकता से बहुत कम कोरोना जाँच किए जा रहे हैं। जब तक बड़ी संख्या में जाँच नहीं होगी संक्रमण की भया’वहता का सही अंदाज़ा कैसे लगेगा?
अगर प्रतिदिन 30 हज़ार टेस्ट होंगे तो रोजाना कम से कम 5 हज़ार केस आएँगे! जो टेस्ट करवा रहे हैं उनके जाँच रिपोर्ट आने में 20 से 30 दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में पॉज़िटिव लोग अन्य लोगों को संक्रमित कर या तो जान गंवा चुके होते हैं या अस्पताल पहुँच चुके होते हैं। कुछ मामलों में भर्ती के बाद जान चली गई और बाद में जाँच रिपोर्ट आई।
कई ऐसे लोग हैं जिनका सैम्पल लिया ही नहीं गया पर रिपोर्ट आ गई। राजद के जब एमएलए, एमएलसी स्तर के नेताओं तक की रिपोर्ट नहीं आ रही तो आम आदमी की ये सरकारी व्यवस्था कब टोह लेती है?
जाँच रिपोर्ट को लेकर मची उहापोह में तो मुख्यमंत्री के नेगेटिव जाँच रिपोर्ट पर शंका होना भी स्वाभाविक है! आज मरीज़ों को अस्पतालों में बेड नहीं होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया जा रहा है। जो भर्ती हैं उनका सही इलाज और देखभाल नहीं किया जा रहा है। डॉक्टरों, लाश उठाने वाले और अन्य मेडिकल स्टाफ के पास पीपीई किट और सही मास्क तक नहीं हैं।