न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★जैसे-जैसे समय बीतता गया, तब जानकारी मिली कि दो ट्रेनों की टक्कर हुई है, लेकिन बाद में तीन ट्रेन टकराने की खबर सामने आई। इन ट्रेन के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए। अब तक ना रेलवे, ना सरकार यह बताने की स्थिति में है कि यह हादसा कैसे हुआ।★
ओडिशा ट्रेन हादसा दिल दहला देने वाला है। अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। 900 से ज्यादा यात्री घायल हुए हैं। हालांकि रेलवे ने 650 लोगों के घायल होने की पुष्टि की है। शुक्रवार शाम को जब हादसे की खबर आई थी तब किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह इतना भयानक हो सकता है। शाम 8 बजे यह पता चला कि एक ट्रेन पटरी से उतर गई है। इसमें 30 लोगों की मौत हुई है…. जैसे-जैसे समय बीतता गया, तब जानकारी मिली कि दो ट्रेनों की टक्कर हुई है, लेकिन बाद में तीन ट्रेन टकराने की खबर सामने आई। इन ट्रेन के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए। देर रात तक मरने वालों का आंकड़ा 200 के पार चला गया।
अब तक ना रेलवे, ना सरकार यह बताने की स्थिति में है कि यह हादसा कैसे हुआ।
हादसे को सिलेसिलेवार समझते हैं…
1. हादसा कब हुआ?
हादसा शुक्रवार शाम 7 बजे भुवनेश्वर से 175 किमी दूर बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ।
2. पहले एक ट्रेन पटरी से उतरी फिर मालगाड़ी से भिड़ी…दूसरी टकराई
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बहानगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस यहां पटरी से उतर गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं। कुछ देर बाद तीसरे ट्रैक पर आ रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ने कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों को टक्कर मार दी।
रातभर बचाव कार्य जारी था। दुर्घटनास्थल पर सबसे पहले स्थानीय लोग पहुंचे।
3. स्थानीय लोगों ने कहा- तेज धमाका सुनाई दिया
स्थानीय लोगों ने शुक्रवार देर रात बताया कि हमने तेज आवाजें सुनीं। कुछ लोग रेलवे ट्रैक की तरफ भागे। देखा तो डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़े थे। इलेक्ट्रिक लाइन टूटी थी। लोग चिल्ला रहे थे। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेरहामपुर निवासी पीयूष पोद्दार ने बताया कि भगवान की कृपा से हम बच गए। इतना जोरदार झटका लगा कि कुछ लोग छिटककर डिब्बों से बाहर आ गए।
स्थानीय लोगों ने मदद करना शुरू कर दिया। उस वक्त जिससे जो बन रहा था वह कर रहा था। स्थानीय लोग खींचकर घायल यात्रियों को बाहर निकाल रहे थे।
4. ब्लड डोनेट करने पहुंचे स्थानीय लोग
इस हादसे के बाद शनिवार सुबह घायलों को गोपालपुर, कांतापारा, बालासोर, भद्रक और सोरो के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। यहां बड़ी तादाद में स्थानीय लोग ब्लड डोनेशन के लिए पहुंचे। इन अस्पतालों के बाहर इनकी भीड़ देखी गई।
ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह कोरोमंडल एक्सप्रेस का डिरेल होना यानी, पटरी से उतर जाना बताया जा रहा है।
किसी ट्रेन के डिरेल होने की 4 संभावनाएं होती हैं…
1. ट्रैक या पटरी में फ्रैक्चर: जब ट्रेन के ट्रैक के बीच की चौड़ाई बढ़ जाती है या दो पटरियों के बीच का जोड़ कमजोर हो जाता है, ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह मैन्युफैक्चरिंग और इंस्टालेशन डिफेक्ट, एक्स्ट्रीम गर्मी या मेंटेनेंस की कमी से हो सकता है।
2. रेलवे इक्विपमेंट्स या टेक्निकल गड़बड़ीः पहिए, लोकोमोटिव बीयरिंग, सस्पेंशन और रेलवे बोगी में होने वाली खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है। ट्रेन सिग्नल और नेटवर्क की मदद से चलती है। ऐसे में कई मौकों पर कंट्रोल रूम या नेटवर्क से संपर्क टूटने के बाद टेक्निकल खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल होती है।
3. मानवीय भूलः लोको पायलट, गार्ड या किसी अन्य ऑपरेशनल मैनेजर की भूल की वजह से भी ट्रेन पटरी से पलटने की संभावना होती है। अमूमन स्लो सिग्नल के बावजूद ट्रेन को फास्ट चलाना, कम्युनिकेशन गैप, रेलवे रूल्स फॉलो न करना हादसे की वजह बनी है।
4. मौसम: जब किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा गर्मी पड़ रही हो या किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा ठंड हो तो वहां रेलवे पटरियों में फैलाव कम-ज्यादा हो सकता है। ज्यादा बारिश या तेज हवा में रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है।
ओडिशा रेल हादसे के दो सिनेरियो हो सकते हैं…
1. अगर कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में ट्रैक में फ्रैक्चर, रेलवे इक्विपमेंट्स में गड़बड़ी या मानवीय भूल वजह हो सकती है। एक वजह ये भी हो सकती है कि ट्रेन को स्लो चलने या ठहरने का सिग्नल हो, लेकिन ड्राइवर इसे फॉलो न कर सका हो। इससे कोरोमंडल डिरेल हुई और उसके डिब्बे तीसरे ट्रैक पर पहुंच गए। उसके थोड़ी ही देर बाद बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आई और ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से टकराकर डिरेल हो गई। इसकी वजह ये हो सकती है कि बेंगलुरु-हावड़ा के लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की।
2. या फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मालगाड़ी से टकराकर डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में जिस ट्रैक पर मालगाड़ी खड़ी थी, उसी ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस चली गई होगी। वजह- सही सिग्नल न मिलना, कंट्रोल रूम और ड्राइवर की लापरवाही और रेल पटरियों में सुरक्षा कवच का अभाव। इसके बाद तीसरे ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल एक्सप्रेस के मलबे से थोड़ी देर बाद आई बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई। इसकी वजह ये हो सकती है दोनों ट्रेनों के टकराने के बावजूद लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की।
हादसा अपडेटः
खड़गपुर रेलवे डिवीजन के अधिकारियों की प्राइमरी जांच में ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह सिग्नल फेल्योर होना बताया जा रहा है। शाम करीब 6.50 बजे 128 किमी/घंटे की रफ्तार से कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाए लूपलाइन में घुस गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे मालगाड़ी और कुछ बगल के ट्रैक में बिखर गए। इसके बाद शाम करीब 7 बजे 116 किमी/घंटे की रफ्तार से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल ट्रेन के कोच से टकरा गई।