
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
केंद्र सरकार ने मल्लाह जाति को एससी (अनुसूचित जाति) की सूची में शामिल करने के बिहार सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने मंगलवार को लोकसभा में अपने लिखित उत्तर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने मल्लाह और बिंद समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। केंद्रीय मंत्री ने कहा-भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा तय मानक या इसके हिसाब से इन प्रस्तावों को जांचा गया। चूंकि आरजीआई ने एक दूसरे संदर्भ में भी मल्लाह जाति को एससी की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था, इसलिए यह प्रस्ताव (बिहार सरकार का) भी खारिज कर दिया गया।
बिंद के मामले में प्रस्ताव को वापस राज्य सरकार को भेजा
कटारिया के अनुसार, बिंद जाति के संबंध में आए प्रस्ताव को आरजीआई की सहमति नहीं मिली। इसे आरजीआई की टिप्पणियों के आलोक में समीक्षा के लिए बिहार सरकार को वापस भेजा गया है, उससे कहा गया है कि वह अपनी अनुशंसाओं को जायज ठहराए।
यह पूरा मसला उपेक्षा व धोखाधड़ी की गवाही
बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के एमडी ऋषिकेश कश्यप ने कहा-यह पूरा मसला उपेक्षा व धोखाधड़ी की गवाही है। इसमें सब शामिल हैं, इसलिए सब बेनकाब से हैं। सबने अपने-अपने हिसाब से मल्लाह जाति को सिर्फ बरगलाया ही है। नतीजा सामने है।
बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने केंद्र के इस रवैये पर तल्ख आपत्ति दर्ज की। कहा-इसका मतलब है कि केंद्र मल्लाह जाति को मुख्य धारा में नहीं लाना चाहता है। हम इसके हकदार हैं और यह होना ही चाहिए। उनके अनुसार बिहार में हमारी आबादी डेढ़ करोड़ है। हम आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक दृष्टि से बिल्कुल पिछड़े हैं। आजादी के बाद से यहां कोई आईएएस मल्लाह जाति का नहीं हुआ। राज्यपाल, मुख्यमंत्री नहीं हुए। 2-3 विधायक ही होते रहे हैं। हां, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चलते अभी दो कैबिनेट मंत्री हैं। लेकिन बाकी तमाम समुदाय की बदतर स्थिति खुलेआम है। हमारी मांग जायज है। यह पूरी हो।
कटारिया ने कहा कि 15 राज्यों ने अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोगों की स्थापना की है। ये हैं-बिहार, राजस्थान, पंजाब, केरल, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड, तेलंगाना और हरियाणा। जिन राज्यों में यह आयोग नहीं है, वहां के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग, अपने मसलों को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का रुख कर सकते हैं। मंत्री ने कहा-’अनुसूचित जाति के लिए राज्य आयोग का गठन, राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।’
पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने कहा-हम मल्लाह व बिंद को अनुसूचित जाति में शामिल करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे। आजादी से लेकर आज तक केंद्र सरकार ने मल्लाह और बिंद के साथ सौतेले व्यवहार किया है। ‘सन ऑफ मल्लाह’ अपनी लड़ाई लड़ता रहेगा। अभी तक सभी पार्टियां, फुटबॉल की तरह अनुसूचित जाति में शामिल करने के मुद्दे को इधर से उधर घुमाती रही हैं। जिस दिन यह समुदाय मजबूत हो जाएगा, उस दिन अपना हक छीन कर ले लेगा।