न्यूज़ टुडे टीम ब्रेकिंग अपडेट : नई दिल्ली :
किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने अंतरिम आदेश में केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के अमल पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। टॉप कोर्ट ने इसके साथ ही मसले के हल के लिए चार सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन किया। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर आंदोलनरत किसानों द्वारा कार्यक्रम बाधित करने के मसले पर सोमवार को कोर्ट में अगली सुनवाई होगी। वहीं, किसान संगठनों को इस बाबत कोर्ट से एक नोटिस जारी किया गया है।
दरअसल, कोर्ट में नए कृषि कानूनों के खिलाफ और दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। बेंच ने कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं। कोई ताकत हमें नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती। उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है।
कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर ‘‘जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।’’
सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि क्या प्रतिबंधित संगठन इस आंदोलन को मदद पहुंचा रहे हैं। इस पर केन्द्र ने टॉप कोर्ट से कहा, “दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान प्रदर्शन में ‘‘खालिस्तानी’’ शामिल हो गए हैं।” कोर्ट ने इसके बाद अगले आदेश तक विवादास्पद तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। न्यायालय ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया।
किसानों के वकील एपी सिंह ने कोर्ट के अंतरिम आदेश को किसानों की जीत करार दिया है। हालांकि, किसान कोर्ट के अंतरिम आदेश से खासा खुश नहीं नजर आए। वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत बोले, “आंदोलन जारी रहेगा। हम इसे करते रहेंगे।” इसी बीच, 30 लाख सदस्यों वाले भारतीय किसान संघ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाने का समर्थन किया है। पर कृषि कानूनों को अमल में लाए जाने पर रोक लगाने का विरोध किया है।
सिंघु बॉर्डर से एक किसान ने समाचार एजेंसी ANI को बताया- सुप्रीम कोर्ट के रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा।