न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया है. कल तक रामसेवक सिंह को जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा हो रही थी लेकिन राज्य कार्यकारिणी की बैठक में अचानक से उमेश कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है. राज्य कार्यकारिणी की बैठक में उम्मीद के मुताबिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस्तीफे की पेशकश की जिसे स्वीकार कर लिया गया और बाद में उमेश कुशवाहा को जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया है. प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उमेश कुशवाहा का चयन इतना अप्रत्याशित था कि खुद उमेश कुशवाहा को इस बारे में जानकारी नहीं थी. आज हो रही राज्य कार्यकारिणी और परिषद की बैठक में वह मौजूद नहीं थे लेकिन आनन-फानन में बैठक के दौरान ही उनको बुलावा भेजा गया. आखिरकार उमेश कुशवाहा पार्टी ऑफिस पहुंचे और कर्पूरी सभागार में चल रही बैठक में शामिल हुए. उमेश कुशवाहा महनार से जेडीयू के विधायक हैं.
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज राज्य कार्यकारिणी की बैठक में पद छोड़ने की घोषणा की और उसके बाद उमेश कुशवाहा को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है. नीतीश कुमार ने उमेश कुशवाहा पर भरोसा जताकर एक बार फिर इस बात का संदेश दे दिया है कि वह अपने पुराने वोट समीकरण लव कुश की तरफ फिर से वापस से जाना चाहते हैं. कुशवाहा समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए नीतीश कुमार ने उमेश कुशवाहा के चेहरे पर भरोसा जताया है. वह युवा हैं यह भी एक सकारात्मक पक्ष है.
राजपूत जाति से आने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह लंबे अरसे से प्रदेश अध्यक्ष बने हुए थे लेकिन अब पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक की कुर्सी पर अपने पुराने आधार वोट के तबके से आने वाले नेताओं को कमान सौंपी है. आरसीपी सिंह यहां कुर्मी जाति से हैं. वहीं उमेश कुशवाहा कुशवाहा जाति से आते हैं. वशिष्ठ नारायण सिंह के पद छोड़ने के बाद अब बड़ा सवाल ये भी पैदा हो रहा है कि क्या जनता दल यूनाइटेड ने वाकई सवर्णों की राजनीति से अलग जाकर केवल लव-कुश समीकरण पर फोकस करने की रणनीति बनाई है. हालांकि जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार सवर्ण तबके से आने वाले अपने पार्टी के नेताओं को दूसरी भूमिका दे सकते हैं.