
न्यूज़ टुडे टीम ब्रेकिंग अपडेट : पटना/ बिहार :
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का राजनीतिक उतराधिकारी राज्यसभा में संसदीय दल के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) हैं . ये कहना हैं ख़ुद नीतीश कुमार का, जिन्होंने पार्टी कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के दौरान ये बात कही कि उनके बाद सब कुछ आरसीपी जी ही देखेंगे .
ये पहला मौक़ा था कि नीतीश कुमार ने दो टूक शब्दों में अपने बाद पार्टी में कौन उनका राजनीतिक वारिस होगा उसके बारे में साफ़ साफ़ संकेत दे दिया. हालांकि आरसीपी ऐसे भी पार्टी में नम्बर दो माने जाते हैं. क्योंकि जब पार्टी कि वर्चुअल बैठक का दौर जून महीने में चल रहा था, तब लोकसभा में संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह के मौजूद रहने के बाबजूद भाषण देने का जो क्रम बनता था, उसमें नीतीश कुमार से पहले आरसीपी सिंह भाषण देते थे, और माना जाता हैं ऐसा प्रोटकाल को नीतीश कुमार के निर्देश पर पालन किया जाता था.
दिल्ली में भी नीतीश कुमार के सारे काम चाहे वो निजी काम हो या महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्य, सबमें अब सालों से आरसीपी सिंह की एक अहम भूमिका होती हैं इसके अलावा सीटों का बंटवारा हो या पार्टी में प्रत्याशियों का चयन नीतीश, आरसीपी सिंह के ऊपर सबसे अधिक भरोसा करते हैं.
कौन है आरसीपी और क्या रहा है राजनीतिक सफ़र
आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के गृह जिले के निवासी है। सिंह पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। वे उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे। उस दौरान नीतीश कुमार केंद्र में रेल मंत्री थे तभी उनकी नजर आरसीपी सिंह पर पड़ी तो नीतीश कुमार ने उन्हें अपना आप्त सचिव बनाया। इसके बाद जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से बुलाकर राज्य का प्रधान सचिव बनाया।
इसके बाद आरएसीपी सिंह 2010 में अपनी नौकरी से वीआरएस ले लिया और राज्यसभा जाने की इच्छा नीतीश कुमार के सामने रखा लेकिन इस दौरान नीतीश कुमार उनकी इस मांग से सहमत नहीं थे। लेकिन नीतीश कुमार को आरसीपी सिंह की जिद के आगे झुकना पड़ा और उनको राज्यसभा भेजना पड़ा। राज्यसभा जाने के उपरांत जदयू के सर्वेसर्वा आरसीपी सिंह ही बन गए।